Ekdant Sankashti Chaturthi 2022: प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को विघ्नहर्ता भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा की जाती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहते हैं, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. 17 मई से ज्येष्ठ मास की शुरुआत हो रही है. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 19 मई को है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा की जाती है. पंचांग के मुताबिक इस बार की चतुर्थी एकदंत गणेश चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi 2022) है. कहा जाता है कि विधि-विधान से एकदंत चतुर्थी की पूजा (Ekdant Sankashti Chaturthi Puja) करने से भगवान गणेश भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं. आइए जानते हैं एकदंत गणेश चतुर्थी व्रत (Ekdant Sankashti Chaturthi Vrat) के बारे में.
कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी I Ekdant Sankashti Chaturthi 2022
पंचांग के मुताबिक एकदंत चतुर्थी तिथि का आरंभ 18 मई, बुधवार को रात 11 बजकर 36 मिनट से हो रहा है. वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 19 मई, गुरुवार को रात 8 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है. उदया तिथि होने के कारण एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि का व्रत 19 मई, गुरुवार को रखा जाएगा. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त I Ekdant Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat
धार्मिक मान्यतानुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह से ही पूजा का विधान शुरू हो जाता है. पंचांग के मुताबिक संकष्ठी चतुर्थी के दिन सुबह साध्य योग का संयोग बन रहा है. साध्य योग दोपहर 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शुभ योग की शरुआत हो जाएगी. कहा जाता है कि ये दोनों ही योग पूजा के लिए शुभ हैं. इस दौरान पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय
मान्यतानुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का विशष महत्व है. इस दिन बिना चंद्रदर्शन के वर्त का पारण नहीं किया जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत के पारण का विधान है. पंचांग के मुताबिक इस दिन चंद्रमा का उदय रात 10 बजकर 56 मिनट पर होगा. मान्यता है कि इस दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वालों को चंद्र देव को जल अर्पत करने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए.
मोदक और दूर्वा हैं भगवान गणेश को प्रिय
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान गणेश के मस्तक पर दूर्वा अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि दूर्वा की 21 गांठों को 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र को बोलते हुए गणेशजी को अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती है. इस दिन भगवान गणेश को मोदक भी अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक दोनों ही प्रिय हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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