The rare cosmic wonder Cold Moon in 2025: भारत ही नहीं दुनिया के हर देश में फुल मून का बहुत महत्व है. भारत में इसका काफी ज्यादा धार्मिक महत्व है. हर माह आने वाली पूर्णिमा को पवित्र नदियों में स्नान और पूजा पाठ के साथ दान करने की परंपराएं प्रचलित हैं. यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देशों में भी फुल मून से जुड़ी कई तरह की परंपराएं हैं. वर्ष के आखिरी फुल मून यानी पूर्णिमा को कोल्ड मून (Cold Moon) भी कहा जाता है. ये दिसंबर माह में सबसे लंबी रात के आसपास नजर आता है. इस समय पड़ने वाली कड़ाके की ठंड के कारण इसे कोल्ड मून कहा जाता है. इस साल 15 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कोल्ड मून नजर आया था. हर वर्ष का अंत कोल्ड मून के साथ होता है. ये अद्भुत और महत्वपूर्ण खगोलीय घटना (Cosmic wonder) होती है. इस समय पूरे सप्ताहांत में चांद पूरी रात अपने पूरे गोल आकार में नजर आता है और ये सबसे लंबी फुल मून की रात होती है इसलिए इसे रेयर कॉस्मिक वंडर माना जाता है. आइए जानते हैं अगला कोल्ड मून कब होगा (Cold Moon in 2025) और चांद से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातें.
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कोल्ड मून के कई नाम
दिसंबर में आने वाली पूर्णिमा को दुनिया भर में अलग अलग नामों से जाना जाता है. इनमें यूल या ओक मून, दत्ता या दत्तात्रेय जयंती उत्सव चंद्रमा, कार्तिक दीपम उत्सव चंद्रमा, स्नो मून, विंटर मेकर मून शामिल हैं. ये शीतकालीन संक्रांति के करीब नजर आता है जिस समय सर्दियों की लंबी और ठंडी रातें होती हैं इसलिए इसे कोल्ड मून कहा है.
अगला कोल्ड मून
वर्ष 2025 में 5 दिसंबर को अगला कोल्ड मून नजर आएगा. हालांकि ये घटना क्षेत्र और देश के हिसाब से अलग अलग तिथियों को हो सकती है.
क्यों कहते हैं कोल्ड मून
दिसंबर के फुल मून को कोल्ड मून का नाम मोहॉक जनजाति ने दिया है. इस समय पूरे उत्तरी गोलार्द्ध में कड़ाके की ठंड पड़ती है. इसीलिए फुल मून के दिन पूरे खिले चांद को कोल्ड मून को नाम दिया गया है. ओल्ड फार्मर्स अल्मनैक के अनुसार, मोहॉक लोग इस चांद को लंबी रात का चांद भी कहते थे.
नए साल में नजर आएगा वुल्फ मून
नए साल में आने वाली पहली फूल मून को वुल्फ मून कहा जाता है. जनवरी के माह में भेड़िए बहुत एक्टिव रहते हैं इसीलिए साल के पहले माह में आने वाले फुल मून को वुल्फ मून कहते हैं. वूल्फ मून 14 जनवरी को नजर आएगा. ये पौष माह की पूर्णिमा होगी.
पूर्णिमा का महत्व
भारत ही नहीं दुनिया के हर देश में फुल मून का बहुत महत्व है. भारत में इसका काफी ज्यादा धार्मिक महत्व है. हर माह आने वाली पूर्णिमा को पवित्र नदियों में स्नान और पूजा पाठ के साथ दान करने की परंपराएं प्रचलित हैं. यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देशों में भी फुल मून से जुड़ी कई तरह की परंपराएं हैं.
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