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This Article is From Apr 10, 2018

छत्तीसगढ़ में 27 साल बाद सुलझा राम मंदिर विवाद

विवाद के बाद अब जाकर मंदिर निर्माण पूर्ण हुआ है और राम, लक्ष्मण, जानकी की 6 फुट की विशाल मूर्ति और सामने हनुमान की लगभग 3 फुट मूर्ति बनाई गई है.

छत्तीसगढ़ में 27 साल बाद सुलझा राम मंदिर विवाद
राम मंदिर के ल‍िए संघर्ष इतना लंबा चला क‍ि इस बीच सम‍ित‍ि के 10 सदस्‍य स्‍वर्गवासी हो गए (फाइल फोटो)
नई द‍िल्‍ली: देश में अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा तो अब तक अनसुलझा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक राम मंदिर का विवाद अब 27 साल बाद सुलझा गया है. इसके लिए ग्रामीणों ने 27 साल तक कड़ी मेहनत की. इस बीच निर्माण समिति के संरक्षक, महासचिव सहित करीब 10 सदस्य दिवंगत हो गए. 

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सोमवार को मंदिर निर्माण समिति के सचिव राजेंद्र निगम ने खास बातचीत में कहा कि ग्राम नर्रा के ग्रामवासियों ने राम-जानकी मंदिर का निर्माण 1991 में शुरू किया था, लेकिन नायब तहसीलदार बाहबाहरा ने 12 सितंबर 1991 को मंदिर निर्माण पर रोक लगावा दी, जिसके विरोध में ग्रामवासियों ने श्रीराम-जानकी मंदिर समिति नर्रा का गठन किया.

निगम ने कहा कि इन्हीं विवादों के बीच बागबाहरा विकासखंड के बीजेपी मंडल अध्यक्ष शांति शुक्ला, गिरधर सारडा और अनिल कालिया ने देवउठनी एकादशी के दिन मंदिर स्थल में यज्ञ कर संकल्प लिया कि मंदिर निर्माण के गतिरोध दूर करने हर संभव प्रयास और आंदोलन करेंगे. रायपुर जिले के तात्कालीन प्रभारी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मंदिर भूमि के व्यवस्थापन की अनुशंसा की और संरक्षक डॉ. रमेश अग्रवाल, महामंत्री हरिशंकर निगम के हस्ताक्षर युक्त आवेदन को अग्रेसित किया.

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परिणामस्वरूप कलेक्टर रायपुर ने भूमि आबंटित करने का आदेश दिया. अपर कलेक्टर रायपुर के आदेश राजस्व मामला क्रमांक 54/अ59 वर्ष 1992-93 के अनुसार 8 हजार एक सौ वर्गफूट भूमि खसरा नंबर 797/1 (क) का टुकड़ा 797/1 (ख) आबंटित कर श्रीराम-जानकी मंदिर समिति को प्रदान किया. भूमि का क्षेत्रफल पूर्व-पश्चिम दिशा में 100 फुट लंबा और उत्तर-दक्षिण दिशा में 81 फुट चौड़ी भूमि व्यवस्थापन में दिया गया.

निगम ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया के बाद गांव के कुछ नागरिकों ने मंदिर निर्माण में बाधा पहंचाया, जिसके कारण ग्रामीणों ने सहयोग करने से इंकार कर दिया था, जिसे अब जाकर सहयोग लेकर निर्माण पूर्ण कराया गया. 

भूमि प्रदान करने की कार्रवाई के तहत हल्का नंबर 112/59 में तत्संबंधी अभिलेख नायब तहसीलदार बागबाहरा भीखम चंद्र साहू से रिकॉर्ड दुरुस्त किया गया. 25 मई 1993 को संबंधित पटवारी हल्का नंबर 112/59 के पटवारी रसिक कुमार राणा ने आबंटित भूमि नापकर मंदिर समिति को कब्जा दिया. मंदिर समिति के अध्यक्ष और महासचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से कब्जा लेकर औपचारिकता पूरी की. 

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विवाद के बाद अब जाकर मंदिर निर्माण पूर्ण हुआ है और राम, लक्ष्मण, जानकी की 6 फुट की विशाल मूर्ति और हनुमान की लगभग 3 फुट मूर्ति की स्थापना मंगलवार को विधिवत आध्यात्मिक परंपरा के अनुसार की जाएगी. 

पंडित राजेंद्र शर्मा नंदनी नगर अछोटी (दुर्ग) मंदिर में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे. ग्राम नर्रा में इस अवसर पर 8 से 15 अप्रैल तक देवी भागवत किया जा रहा है और प्रात: 9 बजे प्रतिदिन यज्ञ होता है. मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में प्रमुख यजमान सोहन लाल पटेल-फूलेश्वरी पटेल, नवीन पटेल-दुर्गा पटेल होंगे.

विधायक खल्लारी संरक्षक डॉ. रमेश अग्रवाल, अध्यक्ष महेंद्र कुमार दिवाकर, उपाध्यक्ष अशोक जैन, महामंत्री हरिशंकर निगम, कोषाध्यक्ष सोहनलाल पटेल, सचिव राजेंद्र निगम, कार्यकारिणी सदस्य किसान सिंह दीवान, धनऊराम निषाद, कृष्ण कुमार निगम, मोतीराम पटेल, मांगीलाल पटेल, गोविंदलाल नागपुरे बिंद्रावन, शंभु ब्यौहार, लाल खान, रज्जाक खान, पीली बाई दीवान, शांति देवी निगम और 8 अन्य सदस्यों की समिति बनाई गई, जिन्होंने रोक के विरुद्ध जनांदोलन चलाया था.

Video: कोर्ट से बाहर भी अयोध्या विवाद का हल निकालने की कोशिशेंInput: IANS

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