छत्तीसगढ़ के धमतरी में दीपावली के बाद हर साल मड़ई मेले का आयोजन होता है, जहां मां अंगारमोती के मंदिर में संतान प्राप्ति के लिये एक प्रथा लंबे समय से चली आ रही है, जिसमें महिलाएं पेट के बल लेटती हैं और बैगा जनजाति के लोग उनके ऊपर से होकर गुजरते हैं. इसे परण कहा जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है. इस साल भी 200 से अधिक महिलाएं नींबू, नारियल और अन्य पूजा सामाग्री लेकर खुले बाल लेकर पेट के बल लेटी रहीं. आप वीडियो में खुद देख सकते हैं, कैसे 200 महिलाएं जमीन पर पेट के बल लेटी हुईं हैं और बैगा जनजाति के लोग उनके ऊपर से चढ़कर गुजर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के धमतरी में दीपावली के बाद मड़ई मेले का आयोजन हुआ, जहां मां अंगारमोती के मंदिर में संतान प्राप्ति के लिये महिलाएं पेट के बल लेटती हैं और बैगा जनजाति के लोग उनके ऊपर से होकर गुजरते हैं,अब इसे अंधविश्वास को प्रथा कैसे कह दें! @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/d5tVJrSMdh
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) November 21, 2020
बता दें कि यहां की मडई को देखने के लिए हजारों लोग दूर-दराज के इलाकों से आते हैं. मडई के दिन निसंतान महिलाएं बड़ी संख्या में यहां पहुंचती है. 20 नवंबर को मां अंगारमोती की मडई में 200 से ज्यादा निसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना लेकर पहुंची थीं. मान्यता के अनुसार मड़ई, ध्वज और डांग लेकर चल रहे 11 से अधिक बैगाओं की टोली के सामने वे पेट के बल लेट गईं. बैगाओं की टोली महिलाओं के ऊपर से गुजरी. मान्यता है कि इस तरह महिलाओं के लेटने और उनके ऊपर से बैगाओं के गुजरने से माता की कृपा मिलती है और निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है.
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