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Chhath Puja 2024: छठ पूजा के दूसरे दिन मनाया जाता है खरना, जानिए खरना पर किन नियमों का ध्यान रखना है जरूरी

Chhath Puja Day 2: आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. खरना पर खास प्रसाद तैयार करके पूजा संपन्न की जाती है. साथ ही, इस दिन कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. 

Chhath Puja 2024: छठ पूजा के दूसरे दिन मनाया जाता है खरना, जानिए खरना पर किन नियमों का ध्यान रखना है जरूरी
Kharna Ke Niyam: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है खरना. 

Chhath Puja 2024: हिंदू धर्म में छठ का पर्व पूरे श्रद्धाभाव से मनाया जाता है. घर की खुशहाली और संतान की सलामती के लिए किए जाने वाले इस व्रत में चार दिनों तक पूजा-आराधना की जाती है और सूर्य देव की उपासना होती है. छठ के व्रत को सबसे कठिन व्रतों में भी गिना जाता है. नहाय खाय से छठ की शुरुआत होती है और खरना (Kharna) के बाद छठ पूजा के संध्या और सुबह के अर्घ्य के बाद छठ पूजा का समापन होता है. पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर खरना मनाया जाता है. आज 6 नवंबर खरना के दिन शाम के समय प्रसाद बनाकर सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है. जानिए खरना की विशेष मान्यता और कुछ जरूरी नियमों के बारे में. 

Chhath Puja 2024: खरना पर किन चीजों का बनता है प्रसाद और किस समय की जाएगी पूजा, जानें यहां

खरना के नियम | Kharna Rules 

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन व्रत रखकर शाम के समय प्रसाद तैयार किया जाता है, सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठी मैया को भोग लगाया जाता है और फिर इस प्रसाद को भक्त ग्रहण करते हैं. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही 36 घंटे लगातार निर्जला व्रत रखा जाता है. खरना के प्रसाद (Kharna Prasad) में गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाती है. 

खरना पर मान्यतानुसार कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है. इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाया जाता है और गैस आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. मिट्टी के चूल्हे पर पीतल का बर्तन रखा जाता है. 

खीर और रोटी के अलावा प्रसाद में ठेकुआ (Thekua) भी तैयार किया जाता है. खरना का प्रसाद मान्यता के अनुसार केवल व्रती ही बनाते हैं. भोग लगाने के बाद इस प्रसाद को सबसे पहले व्रती ग्रहण करते हैं और उसके बाद अन्य लोगों में प्रसाद का वितरण होता है. 

छठी माई को भोग में चढ़ाई जाने वाली चीजों का अखंडित होना जरूरी होता है. इसमें फूल और फल कुछ भी हो, झूठा नहीं होना चाहिए और इसीलिए पक्षियों से भी दूर रखा जाता है. प्रसाद को गंदे हाथों से छूना नहीं चाहिए और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा छठ पूजा के दौरान बिस्तर के बजाय जमीन पर चटाई बिछाकर सोया जाता है. 

खरना पर शुभ मुहूर्त 

खरना के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 3 मिनट से 5 बजकर 51 मिनट के बीच है. इसके बाद सुबह सूर्योदय का समय 6 बजकर 39 मिनट और सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 41 मिनट है. खरना की पूजा का शुभ मुहूर्त  शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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