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This Article is From Nov 17, 2020

Chhath Puja 2020: यहां जानें, छठ पूजा की सामग्री, प्रसाद, पूजा-विधि, व्रत नियम, मंत्र और कथा

Chhath Puja 2020: छठ पर्व कल से शुरु है. 18 नवंबर को नहाय-खाए से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में छठ पूजा की शुरुआत हुई. खासकर, बिहार में यह महापर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

Chhath Puja 2020: यहां जानें, छठ पूजा की सामग्री, प्रसाद, पूजा-विधि, व्रत नियम, मंत्र और कथा
Chhath Puja 2020: यहां जानें, छठ पूजा की सामग्री, प्रसाद, पूजा-विधि, व्रत नियम, मंत्र और कथा

Chhath Puja 2020छठ पर्व कल से शुरु है. 18 नवंबर को नहाय-खाए से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में छठ पूजा की शुरुआत हो रही है. खासकर, बिहार में यह महापर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. छठी मइया (Chhathi Maiya) को पूरे विधि-विधान से पूजा जाता है. छठ पर्व (Chhath Parv) के पहले दिन नहाय-खाए (Nahay Khay), दूसरे दिन खरना या लोहंडा (Kharna or lohanda) मनाया जाता है. वहीं, षष्ठी की शाम ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर अगली सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन किया जाता है. मान्यता है कि छठ का व्रत (Chhath Vrat) रखने से संतान की प्राप्ति होती है और बच्चों से जुड़े कष्टों का निवारण होता है. माना जाता है कि छठी मइया का व्रत (Chhathi Maiya Vrat) रखने से सूर्य भगवान (Surya Bhagwan) की कृपा बरसती है. 

छठ पूजा कब है? (When is Chhath Puja 2020)
दिपावली के छठे दिन यानी कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है. छठी मइया की पूजा (Chhathi Maiya Ki Puja) की शुरुआत चतुर्थी को नहाए-खाय से होती है. इसके अगले दिन खरना या लोहंडा (इसमें प्रसाद में गन्ने के रस से बनी खीर दी जाती है). षष्ठी (20 नवंबर) को शाम और सप्तमी (21 नवंबर) सुबह को सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ पूजा की समाप्ति की जाती है. इस बार छठ पूजा 18 नवंबर से 21 नवंबर तक है.

छठ पूजा की सामग्री (Chhath Puja Samagri)
पहनने के लिए नए कपड़े, दो से तीन बड़ी बांस से टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक और कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन. 

छठी मइया का प्रसाद (Chhathi Maiya Ka Prasad)
ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. 

छठी मइया की पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)
- नहाय-खाय के दिन सभी व्रती सिर्फ शुद्ध आहार का सेवन करें. 
- खरना या लोहंडा के दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाएं. सबसे पहले इस खीर को व्रती खुद खाएं बाद में परिवार और ब्राह्मणों को दें. 
- छठ के दिन घर में बने हुए पकवानों को बड़ी टोकरी में भरें और घाट पर जाएं.
- घाट पर ईख का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाएं. 
- व्रती घाट में स्नान कर के लिए उतरें और दोनों हाथों में डाल को लेकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. 
- सूर्यास्त के बाद घर जाकर परिवार के साथ रात को सूर्य देवता का ध्यान और जागरण करें. इस जागरण में छठी मइया के  गीतों (Chhathi Maiya Geet) को सुनें.
- सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में सारे व्रती घाट पर पहुंचे. इस दौरान वो पकवानों की टोकरियों, नारियल और फलों को साथ रखें. 
- सभी व्रती उगते सूरज को डाल पकड़कर अर्घ्य दें.
- छठी की कथा सुनें और प्रसाद का वितरण करें.
- आखिर में सारे व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें.

छठ पूजा के दौरान व्रतियों के लिए नियम (Chhath Puja Vrat Niyam)
1. व्रती छठ पर्व के चारों दिन नए कपड़े पहनें. महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनें.
2. छठ पूजा के चारों दिन व्रती जमीन पर चटाई पर सोएं.
3. व्रती और घर के सदस्य भी छठ पूजा के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मछली ना खाएं.
4. पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का इस्तेमाल करें.
5. छठ पूजा में गुड़ और गेंहू के आटे के ठेकुआ, फलों में केला और गन्ना ध्यान से रखें. 

छठ मइया का पूजा मंत्र (Chhath Puja Mantra)
ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||

छठी मइया की कथा (Chhathi Maiya Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था. उनकी पत्नी का नाम था मालिनी. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और रानी दोनों की दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. यह यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं.

लेकिन रानी की मरा हुआ बेटा पैदा हुआ. इस बात से राजा और रानी दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी. राजा प्रियव्रत इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्म हत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बड़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं. 

षष्ठी देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की. इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा. 

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