Budhwa Mangal 2022 Upay: भाद्रपद मास का बुढ़वा मंगल आज है. धार्मिक मान्यता है कि बुढ़वा मंगल (Budhwa Mangal) हनुमान जी (Hanuman Ji) के बुढ़वा रूप समर्पित है. दरअसल भाद्रपद मास के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल को पर्व के रूप में मनाया जाता है. मान्यतानुसार इस दिन हनुमान जी का आशीर्वाद (Blessings of Hanuman) प्राप्त करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है. इस दिन हनुमान जी को चोला भी चढ़ाया जाता है. आइए जानते हैं कि भाद्रपद बुढ़वा मंगल पर हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए क्या करना शुभ रहेगा और बुढ़वा मंगल की पूजा-विधि (Budhwa Mangal Puja Vidhi) महत्व क्या है.
बुढ़वा मंगल की पूजा विधि | Budhwa Mangal Puja Vidhi
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सुबह स्नान करने के बाद हनुमानजी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने लाल फूल अर्पित करें. इसके साथ ही हनुमानजी को लाल चंदन का टीका लगाएं. इतना करने के बाद भगवान के समक्ष बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें. मंगलवार के व्रत में शाम से समय हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाकर व्रत का पारण किया जाता है. ऐसे में जो लोग मंगलवार का व्रत रखते हैं, उन्हें इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है. कहते हैं कि बिना इस नियम का पालन किए व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है.
बुढ़वा मंगल का महत्व | Budhwa Mangal Importance
पौराणिक ग्रंथों में भी बुढ़वा मंगल का जिक्र किया गया है. पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में हजारों हाथियों के बल को धारण किए भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बड़ा अभिमान और घमंड हो गया था. भीम के घमंड को तोड़ने के लिए रूद्र अवतार हनुमान जी ने एक बूढ़े बंदर का भेष धारण कर उनका घमंड चूर-चूर किया. कहा जाता है कि जिस दिन हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा था, वह दिन मंगलवार था. जिसे कालांतर में बुढ़वा मंगल कहा जाने लगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, रामायण काल में भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को माता सीता की खोज में लंका पहुंचे हनुमान जी की पूंछ में रावण ने आग लगा दी थी. हनुमान जी ने अपने विराट स्वरूप को धारण कर लंका को जलाकर रावण का घमंड चूर किया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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