बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है
नई दिल्ली:
वैसाख महीने की पूर्णिमा को 563 ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह सबसे बड़ा त्योहार है. इसको बुद्ध जयंती के नाम से भी जाता है. हिन्दू धर्मावलंबी इस दिन को सत्यविनायक पूर्णिमा के तौर पर भी मनाते हैं और दिन भर व्रत रखते हैं. इस बार बुद्ध पूर्णिमा 30 अप्रैल को है. इस बार गौतम बुद्ध की 2580वीं जयंती मनाई जा रही है.
बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं और रोचक बातें
गौतम बद्ध का जन्म एक राज परिवार में हुआ था लेकिन उन्होंने समस्त सांसारिक सुखों का त्याग कर कठिन तपस्या के बल पर ज्ञान प्राप्त किया. बौद्ध धर्म न सिर्फ भारत में फैला बल्कि दुनिया भर में इसने अपनी जगह बनाई. आज बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है.
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
वैसाख महीने की पूर्णिमा को ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसी दिन बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. यही नहीं वैसाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था.
जानिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन विशेष स्नान का महत्व
हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं. हिन्दू इस दिन को सत्य विनायक पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं. मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा गरीबी के दिनों में उनसे मिलने पहुंचे. इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे थे तो कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था. सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई.
शांति के लिए अपनाएं गौतम बुद्ध के ये 10 विचार
बुद्ध पूर्णिमा भारत समेत श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार और इंडोनेशिया में मनाई जाती है. श्रीलंका के लोग इस दिन को 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं. 'वेसाक' वैशाख शब्द का अपभ्रंश है.
कैसे मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा
दुनिया भर में फैले हुए बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन बौद्ध अपने घरों को फूलों से सजाकर दीपक जलाते हैं. इस दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है. बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं. इस दिन मांसाहार वर्जित है.
वहीं हिन्दू घरो में इस दिन सत्य विनायक पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. इस दिन गंगा स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है. मिठाई, सत्तू, बर्तन और कपड़ों का दान कर पितरों का तर्पण भी किया जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं और रोचक बातें
गौतम बद्ध का जन्म एक राज परिवार में हुआ था लेकिन उन्होंने समस्त सांसारिक सुखों का त्याग कर कठिन तपस्या के बल पर ज्ञान प्राप्त किया. बौद्ध धर्म न सिर्फ भारत में फैला बल्कि दुनिया भर में इसने अपनी जगह बनाई. आज बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है.
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
वैसाख महीने की पूर्णिमा को ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसी दिन बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. यही नहीं वैसाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था.
जानिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन विशेष स्नान का महत्व
हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं. हिन्दू इस दिन को सत्य विनायक पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं. मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा गरीबी के दिनों में उनसे मिलने पहुंचे. इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे थे तो कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था. सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई.
शांति के लिए अपनाएं गौतम बुद्ध के ये 10 विचार
बुद्ध पूर्णिमा भारत समेत श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार और इंडोनेशिया में मनाई जाती है. श्रीलंका के लोग इस दिन को 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं. 'वेसाक' वैशाख शब्द का अपभ्रंश है.
कैसे मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा
दुनिया भर में फैले हुए बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन बौद्ध अपने घरों को फूलों से सजाकर दीपक जलाते हैं. इस दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है. बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं. इस दिन मांसाहार वर्जित है.
वहीं हिन्दू घरो में इस दिन सत्य विनायक पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. इस दिन गंगा स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है. मिठाई, सत्तू, बर्तन और कपड़ों का दान कर पितरों का तर्पण भी किया जाता है.
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