
Ashwin Amavasya 2025 kab hai: सनातन परंपरा में अमावस्या के दिन किए जाने वाले पूजा, जप, दान आदि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. यह साल भर में 12 बार और जिस साल अधिक मास होता है, उसमें 13 बार आती है. इस अमावस्या का महत्व तब और ज्यादा बढ़ जाता है जब यह पितृपक्ष के दौरान आश्विन मास को आती है और सर्वपितृ अमावस्या कहलाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या न सिर्फ पितरों की संतुष्टि बल्कि तमाम तरह की कामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत ही फलदायी होती है. आइए आश्विन अमावस्या या फिर कहें सर्वपितृ अमावस्या के अचूक उपाय के बारे में जानते हैं.
आश्विन अमावस्या के उपाय
- हिंदू मान्यता के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या के दिन यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी, सरोवर या फिर समुद्र तीर्थ पर जाकर स्नान करना चाहिए. यदि आप किसी कारण से वहां न जा पाएं तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
- आश्विन मास की अमावस्या के दिन व्यक्ति को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इस दिन भूलकर भी देर तक नहीं सोना चाहिए. इसी प्रकार अमावस्या तिथि पर दिन में भी न सोएं.
- आश्विन मास की अमावस्या के दिन अधिक से अधिक अपने आराध्य देवता के मंत्र का जप करना चाहिए.

- हिंदू मान्यता के अनुसार अमावस्या के दिन कभी भी वाद-विवाद नहीं करना चाहिए. आश्विन मास की अमावस्या जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं उस दिन तो यह गलती बिल्कुल भी न करें क्योंकि हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन पितर विदा हो रहे होते हैं और आपके घर या जीवन की कलह को देखकर वे दुखी हो सकते हैं.
- आश्विन मास की अमावस्या पर सिर्फ स्नान ही नहीं बल्कि दान का भी बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसे में इस पावन तिथि पर आपको अपने पितर के निमित्त या फिर ग्रह विशेष का अन्न एवं धन आदि का दान करके शुभता और सौभाग्य को पाने का प्रयास करना चाहिए.
- आश्विन मास की अमावस्या के दिन कुत्ता, गाय, चींटी, कौए आदि पक्षियों के लिए भोजन का प्रबंध करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार इस उपाय को करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है.
- आश्विन मास की अमावस्या के दिन घर के सभी कोने में साफ-सफाई करना चाहिए. इस दिन घर से सारे खराब समान बाहर करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.
- आश्विन मास की अमावस्या के दिन घर के किसी कोने में अंधेरा नहीं रखना चाहिए और दक्षिण दिशा में विशेष रूप से पितरों के लिए दीया जलाना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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