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Apara Ekadashi 2025: इस साल 22 या 23 मई कब रखा जाएगा अपरा एकादशी का व्रत? जानिए भगवान विष्णु को कैसे करें प्रसन्न

Apara Ekadashi Date: हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. ऐसे में यहां जानिए कब है अपरा एकादशी और किस तरह इस दिन भगवान विष्णु की पाई जा सकती है कृपा. 

Apara Ekadashi 2025: इस साल 22 या 23 मई कब रखा जाएगा अपरा एकादशी का व्रत? जानिए भगवान विष्णु को कैसे करें प्रसन्न
Apara Ekadashi Puja Vidhi: अपरा एकादशी पर पूरे मनोभाव से की जाती है भगवान विष्णु की पूजा. 

Apara Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में कई तरह की एकादशी मनाई जाती है जिनमें से एक है अपरा एकादशी. हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) कहा जाता है. अपरा एकादशी का व्रत रखने पर मान्यतानुसार हर कार्य में अपार सफलता मिलती है. इस एकादशी के मौके पर पूरे मनोभाव से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा संपन्न की जाए तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं. लेकिन, अपरा एकादशी की तिथि को लेकर खासा उलझन की स्थिति बन रही है. किसी का कहना है कि एकादशी का व्रत 22 मई के दिन रखा जाएगा तो कोई 23 मई को सही तिथि बता रहा है. ऐसे में यहां जानिए पंचांग के अनुसार इस साल अपरा एकादशी कब है और किस तरह संपन्न की जा सकती है भगवान विष्णु की पूजा. 

22 या 23 मई कब है अपरा एकादशी | 22 Or 23 May When Is Apara Ekadashi 

पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 22 मई की रात 1 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 23 मई की रात 10 बजकर 29 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते 23 मई, शुक्रवार के दिन ही अपरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 

अपरा एकादशी का पारण समय 

23 मई के दिन अपरा एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखा जाएगा और इस चलते अगले दिन 24 मई, शनिवार को अपरा एकादशी का पारण किया जाएगा. व्रत पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 1 मिनट से सुबह 8 बजकर 39 मिनट के बीच है. 

इस विधि से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न | Apara Ekadashi Puja Vidhi 

अपरा एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद अपरा एकादशी का व्रत शुरू होता है. इस दिन भगवान विष्णु के प्रिय रंग के कपड़े यानी पीले रंग के कपड़े पहने जा सकते हैं. अपरा एकादशी पर श्रीहरि की पूजा करने के लिए चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा को उसपर सजाएं. इसके बाद दीप जलाएं, फल, अक्षत, फल, तुलसी और मेवा वगैरह अर्पित करें. आरती करें, मंत्रों का जाप करें और पूजा का समापन करें. 

भगवान विष्णु के मंत्र 
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:
  • ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्:
  • ॐ विष्णवे नमः
  • कृष्णाय वासुदेवाय हराय परमात्मने प्रणतः क्लेशनशाये गोविंदाय नमो नमः 
  • हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे:

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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