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Annakut Puja 2025: कब है अन्नकूट पूजा, जानें क्यों मनाया जाता है ये पर्व और क्या है इसकी कथा?

Annakut Puja 2025 date and time: कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन अन्नकूट का पर्व क्यों मनाया जाता है? यह पर्व किस देवता की पूजा के लिए समर्पित है? इस साल इस पूजा को कब और किस शुभ मुहूर्त में किया जाएगा? इससे जुड़ी पावन कथा और महत्व को जानने के लिए पढ़ें ये लेख. 

Annakut Puja 2025: कब है अन्नकूट पूजा, जानें क्यों मनाया जाता है ये पर्व और क्या है इसकी कथा?
Annakut Puja 2025: अन्नकूट पूजा की कथा और शुभ मुहूर्त
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Annakut Puja 2025 kab hai: सनातन परंपरा में अन्नकूट के पर्व का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. यह पर्व हर साल दिवाली के ​अगले दिन कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है, लेकिन इस साल तिथि में अंतर आ जाने के कारण 22 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. अन्नकूट का पर्व पूर्णावतार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण द्वारा इंद्र देवता के मान-मर्दन के उलपक्ष्य में मनाया जाता है. लोकपरंपरा में इसे गोवर्धन पूजा के नाम से भी जाना जाता है. अन्नकूट का पावन पर्व क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे की कथा क्या है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं. 

अन्नकूट पूजा का शुभ मुहूर्त (Annakut puja ka shubh muhurat)

पंचांग के अनुसार इस साल अन्नकूट का पर्व 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप माने जाने वाले गोवर्धन महाराज को समर्पित अन्नकूट पूजा दिन में दो बार की जा सकेगी. यदि आप सुबह करना चाहते हैं तो अन्नकूट की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय प्रात:काल 06:26 से लेकर 08:42 बजे तक रहेगा. वहीं अन्नकूट की पूजा दूसरा सबसे उत्तम समय दोपहर 03:29 से सायंकाल 05:44 बजे तक रहेगा.

क्यों मनाया जाता है अन्नकूट पर्व (Annakut ki katha)

हिंदू मान्यता के अनुसार द्वापर युग में कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा वाले दिन देवताओं के राजा इंद्र को छप्पन प्रकार के भोग अर्पित किए जाते थे, जब भगवान श्री कृष्ण ने इसका कारण माता यशोदा से पूछा तो उन्होंने बताया कि इंद्र देव जब वर्षा करते हैं तो हमारी गौवें और हमारी खेती बढ़ती फलती हैं, तब कान्हा ने कहा कि यह तो ​गोवर्धन पर्वत के कारण होता है. तब उन्होंने उस प्रथा को बंद करवा कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए सभी को कहा. 

जब यह बात इंद्र देवता को पता चली तो उन्होंने ब्रज मंडल में घनघोर वर्षा करवा दी. इससे बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और उसे लेकर सात दिनों तक खड़े रहे. इसके बाद जब इंद्र का अभिमान दूर हो गया और उसने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी तो उन्होंने लोगों को इस दिन गोवर्धन की पूजा और अन्नकूट पर्व मनाने को कहा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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