गोवर्धन असरानी (Govardhan Asrani Death), जिन्हें बॉलीवुड में असरानी के नाम से जाना जाता है, एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने अपनी कमाल की कॉमिक टाइमिंग और अलग-अलग रेंज की परफॉर्मेंसेज से हिंदी सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी. जयपुर में 1 जनवरी 1941 को जन्मे असरानी ने अपने करियर की शुरुआत एक रेडियो आर्टिस्ट के तौर पर की थी. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे मुंबई पहुंचे, जहां उनके एक्टिंग का सफर शुरू हुआ. शुरुआती दिनों में उन्हें अपने लुक के कारण रिजेक्शन का सामना करना पड़ा. गुलजार जैसे दिग्गजों ने उन्हें कमर्शियल एक्टर नहीं माना, लेकिन असरानी ने हार नहीं मानी.
300 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
1971 में ‘गुड्डी' से डेब्यू करने के बाद असरानी ने अपनी कॉमेडी और कैरेक्टर रोल से दर्शकों का दिल जीता. उनकी असली पहचान बनी 1975 की फिल्म ‘शोले' में, जहां जेलर के किरदार में उनकी डायलॉग डिलीवरी और अंदाज ने उन्हें अमर कर दिया. इसके अलावा ‘चुपके चुपके', ‘नमक हराम', ‘निकाह' और ‘वेलकम' जैसी फिल्मों में उनके किरदार यादगार रहे. असरानी ने 300 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया, जिसमें कॉमेडी से लेकर सीरियस किरदार शामिल थे.
सिंगर भी थे असरानी (Asrani sang three bollywood songs)
एक्टिंग के साथ-साथ असरानी एक गायक भी थे. उन्होंने कई फिल्मों में अपनी आवाज दी, हालांकि उनकी गायकी, एक्टिंग जितनी चर्चा में नहीं रही. असरानी ने साल 1977 में आई अलाप में 'बिनती सुन ले तनिक' और 'हो रामा डर लागे अपनी उमरिया से' गाया था. वहीं 1978 में आई फूल खिले हैं गुलशन गुलशन में 'मुन्नू भाई मोटर चली पम पम' गाया था. इसमें उन्होंने किशोर कुमार का साथ दिया था.
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