हिंदू पंचाग में अनंग त्रयोदशी का विशेष महत्व है. चैत्र और मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के अनंग त्रयोदशी मनाई जाती है. अनंग त्रयोदशी के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) के साथ कामदेव (Kaamdev) और रति की भी पूजा होती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य, स्वास्थ में तो लाभ मिलता ही है, साथ ही प्रेम विवाह या फिर शादी में आ रहीं रुकावटें भी दूर होती हैं. इस बार अनंग त्रयोदशी 16 दिसंबर यानि आज मनाई जा रही है.
अनंग त्रयोदशी 2021 तिथि | Anang Trayodashi 2021 Date
- मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 15 दिसंबर को देर रात 02 बजकर 01 मिनट पर हुआ है.
- इसका समापन 17 दिसंबर को प्रात: 04 बजकर 40 मिनट पर होगा.
- ऐसे में अनंग त्रयोदशी व्रत आज 16 दिसंबर को रखा जाएगा.
- इस दिन प्रदोष व्रत भी है. इस दिन शिव योग और सिद्ध योग का सुंदर संयोग है.
अनंग त्रयोदशी की पूजा का मुहूर्त | Puja Muhurat Of Anang Trayodashi
- शाम की पूजा का मुहूर्त 05 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक है.
- इस दिन अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक है.
- विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजे से दोपहर 02 बजकर 41 मिनट तक है.
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अनंग त्रयोदशी व्रत कथा (Anang Triyodashi Vrat Katha 2021)
पुराणों में वर्णित है कि मां सती के वियोग में भगवान शिव ध्यान में मग्न हो गए थे, जिसके चलते असुरों का तीनों लोकों में आतंक बढ़ गया था. वहीं स्वर्ग लोक पर भी असुरों का अधिपत्य हो गया. तीनों लोकों में मचे हाहाकार के चलते सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव का ध्यान तोड़ने की जिम्मेदारी कामदेव और रति को सौंपा थी. कहा जाता है कि जब कामदेव और देवी रति ने भगवान शिव का ध्यान तोड़ने की कोशिश की, जिससे गुस्साए भगवान शिव ने कामदेव को तीसरी नेत्र से भस्म कर दिया था. यह देख रति वियोग करने लगी. जब भगवान शिव का गुस्सा कम हुआ तो उन्होंने बताया कि वर्तमान में कामदेव को अनंग रूप में रहना पड़ेगा. वहीं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के घर कामदेव पुत्र रूप में जन्म लेंगे. द्वापर युग में अनंग रूपी कामदेव ने शरीर रूप धारण किया. बता दें कि कालांतर से ही अनंग त्रयोदशी का व्रत मनाया जाता रहा है.
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अनंग त्रयोदशी पूजा विधि | Ananga Trayodash Puja Vidhi
- इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर घर की साफ-सफाई करें.
- इस दिन गंगाजल डालकर सर्वप्रथम सुबह स्नान करना चाहिए.
- स्नान के बाद स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण करें.
- शिव मंदिर जाकर या घर पर ही सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. शास्त्रों में निहित है कि सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा करें.
- अब भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा करें.
- इस दिन कामदेव और देवी रति की भी पूजा उपासना की जाती है.
- इसके बाद दूध, दही, गुड़, घी और शहद से शिवजी का अभिषेक करें.
- शिवजी को सफेद फूल, सफेद मिठाई, बेलपत्र, केला और अमरूद अर्पित करें.
- साथ ही शिवजी के मंत्र ॐ नमः शिवाए का जाप करें और 13 सिक्के भी चढ़ाएं.
- दिनभर उपवास रखें.
- संध्याकाल में आरती-अर्चना कर भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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