वाराणसी के काशी विश्वनाथ और अन्य मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले भारी मात्रा में फूलों को अब गंगा नदी में नहीं डाला जाएगा. महिलाओं के सेल्फ-हेल्प समूहों द्वारा इन फूलों से अगरबत्ती बनाया जाएगा, जिसे आईटीसी पूरे विश्व में बेचेगा.
अगरबत्ती के पैकेट पर काशी विश्वनाथ मंदिर की तस्वीर छपी रहेगी.
परियोजना की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस महीने से कर सकते हैं.
सूत्रों के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन 12 टन से अधिक फूल चढ़ाए जाते हैं. 'सावन' के महीने के दौरान यह मात्रा बढ़कर हर दिन 40 टन हो जाती है.
मंदिर के सीईओ विशाल सिंह का कहना है कि इस परियोजना से न केवल फूलों का उचित प्रयोग होगा, बल्कि महिलाओं को रोजगार मिलने के अवसर भी प्राप्त होंगे.
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उन्होंने कहा, "इससे फूलों को नष्ट करने की समस्या का भी हल हो जाएगा. धार्मिक पवित्रता के कारण हम फूलों को यहां-वहां फेंक नहीं सकते हैं, ऐसे में यह उनका उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका है. अगरबत्ती की बिक्री पर मंदिर को रॉयल्टी का हिस्सा भी मिलेगा."
दिलचस्प बात यह है कि, लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) पहले से ही शहर के एक सामाजिक उद्यम के साथ मिलकर अगरबत्ती बनाने के लिए फूलों को एकत्र करने में जुट गया है.
नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि यह परियोजना एकत्रित फूलों के कचरे से अगरबत्ती और जैव खाद बनाने की है.
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इस पर वैज्ञानिक विशेषज्ञता पाने के लिए निगम वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिसिनल एंड एरोमेटिक्स प्लांट्स (सीआईएमपी) के के साथ भी काम कर रहे हैं.
एलएमसी सुूत्रों के अनुसार, एक क्विंटल ताजे फूलों से करीब 30 से 35 किलोग्राम अगरबत्तियां बनेंगी.
एक सामाजिक उद्यम के संस्थापक हर्शित सोनकर इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं. उनका लक्ष्य एकत्रित किए गए फूलों के करीब 20 प्रतिशत फूलों से अगरबत्ती बनाने का है.
इस परियोजना से 100 लोगों से भी अधिक को रोजगार मिलेगा.
इनपुट-आईएएनएस
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