Achala Saptami 2023: आज है अचला सप्तमी, जानिए व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Achala Saptami Puja: अचला सप्तमी के व्रत में महिलाएं सूर्य देव को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं और घर में खुशहाली का आशीर्वाद मांगती हैं.

Achala Saptami 2023: आज है अचला सप्तमी, जानिए व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Achala Saptami 2023: अचला सप्तमी का व्रत पूरे मनोभाव से रखती हैं महिलाएं.

खास बातें

  • माघ माह में आती है अचला सप्तमी.
  • खुशहाली के लिए रखा जाता है यह व्रत.
  • सुबह-सुबह की जाती है पूजा.

Achala Saptami 2023: अचला सप्तमी को सैर सप्तमी भी कहा जाता है. यह व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाया जाता है. इस वर्ष 28 जनवरी के दिन अचला सप्तमी मनाई जा रही है. महिलाएं मान्यतानुसार सूर्य देव (Surya Dev) को प्रसन्न करने के लिए अचला सप्तमी का व्रत रखती हैं और पूजा कर जीवन और घर में खुशहाली बनाए रखने की सूर्य देव से मनोकामना मांगती हैं. जानिए इस वर्ष किस शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) में की जा सकती है अचला सप्तमी पर पूजा और कैसे पूर्ण करें पूजा विधि. 

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अचला सप्तमी व्रत और पूजा | Achala Saptami Puja And Vrat 


अचला सप्तमी का व्रत इस वर्ष 28 जनवरी, शनिवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहुर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 12 मिनट तक बताया जा रहा है. वहीं, अचला सप्तमी के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त का समापन सुबह 8 बजकर 43 मिनट पर माना जा रहा है. 


अचला सप्तमी पूजा विधि 


अचला सप्तमी के दिन सुबह प्रात: काल उठकर स्नान किया जाता है. इसके पश्चात साफ-स्वच्छ कपड़े पहने जाते हैं. सुबह ही व्रत का प्रण ले लिया जाता है. अब पूजा करने के लिए तांबे के दीपक में तिल का तेल भरा जाता है और सूर्य देव का ध्यान करने के बाद इस दिये को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है. भगवान सूर्य की पूजा (Surya Puja) की जाती है और उसमें फूल, धूप और दीप आदि सम्मिलित किए जाते हैं. 


सूर्य देव की आराधना करते हुए 'सपुत्रपशुभृत्याय मेर्कोयं प्रीयताम्' मंत्र का उच्चारण करते हैं. इस पूजा में मिट्टी की मटकी में गुड़ और घी सहित तिल का चूर्ण रखा जाता है. इस बर्तन को लाल रंग के कपड़े से ढक्कर पूजा में शामिल करते हैं और पूजा के पश्चात इसे दान में दे दिया जाता है. अचला सप्तमी के दिन वस्त्र और तिल का दान शुभ मना जाता है. आखिर में जरूरतमंदों को भोजन करवाने के बाद व्रत का समापन होता है. इस पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान सूर्य अपनी कृपा बरसाते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)