
कांगड़ा स्थित प्रसिद्ध ब्रजेशवरी देवी मंदिर
कांगड़ा:
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा स्थित प्रसिद्ध ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में गुरुवार को 1,500 किलो मक्खन से देवी की मूर्ति बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मंदिर अधिकारी पवन बंद्याल ने बताया कि मूर्ति 'देसी घी' का इस्तेमाल कर बनाई जा रही है।
मूर्ति बनाने का काम मकर संक्रांति को शुरू की गई। इससे पहले मंदिर के पुजारियों ने पवित्र जल से 108 बार इसकी शुद्धि की। यह त्योहार यहां एक सप्ताह तक मनाया जाएगा। पवन बंद्याल ने बताया कि 20 जनवरी को 'पिंडी' या देवी की प्रतिमा हटा दी जाएगी और इसका 'प्रसाद' श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जाएगा।
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यह भी पढ़ें : पांच सौ सालों में पहली बार शनि शिंगनापुर मंदिर ट्रस्ट में नियुक्त हुई महिला अध्यक्ष
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प्रसाद से दूर हो जाती हैं जोड़ों के दर्द और त्वचा की बीमारियां
मान्यता है कि मक्खन की मूर्ति के प्रसाद से जोड़ों के दर्द और त्वचा की पुरानी बीमारियां दूर हो जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान युद्ध में घायल हो गए थे तो देवताओं ने मकर संक्रांति पर मक्खन के साथ उनका उपचार किया था।
ब्रजेश्वरी देवी मंदिर उत्तर भारत में सबसे व्यस्त मंदिरों में से एक है, यहां पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मूर्ति बनाने का काम मकर संक्रांति को शुरू की गई। इससे पहले मंदिर के पुजारियों ने पवित्र जल से 108 बार इसकी शुद्धि की। यह त्योहार यहां एक सप्ताह तक मनाया जाएगा। पवन बंद्याल ने बताया कि 20 जनवरी को 'पिंडी' या देवी की प्रतिमा हटा दी जाएगी और इसका 'प्रसाद' श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जाएगा।
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प्रसाद से दूर हो जाती हैं जोड़ों के दर्द और त्वचा की बीमारियां
मान्यता है कि मक्खन की मूर्ति के प्रसाद से जोड़ों के दर्द और त्वचा की पुरानी बीमारियां दूर हो जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान युद्ध में घायल हो गए थे तो देवताओं ने मकर संक्रांति पर मक्खन के साथ उनका उपचार किया था।
ब्रजेश्वरी देवी मंदिर उत्तर भारत में सबसे व्यस्त मंदिरों में से एक है, यहां पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
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