
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़ाहान पर हमले किए. इनमें सबसे भयानक हमला फोर्डो पर किया गया, जिस पर अमेरिका के सात B2 बमवर्षकों ने 14 बंकर बस्टर बम एक ही जगह पर एक के बाद एक गिराए. 30-30 हज़ार पाउंड के ये बम सख़्त जमीन को भी 200 फीट की गहराई तक नुकसान बनाने की क्षमता रखते हैं. इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया है. लेकिन ट्रंप के बयान पर कई जानकार सवाल उठा रहे हैं.

Maxar Technologies द्वारा सैटलाइट से ली गई तस्वीरें हमले के पहले और बाद की. पहली तस्वीर 20 जून की है और दूसरी हमले के बाद 22 जून की. इसमें बमबारी से सतह पर हुआ नुकसान साफ दिख रहा है. फोर्डो न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट एक पहाड़ी इलाके में है और इसे जमीन के 200 से 300 फीट नीचे तक बनाया गया है.
अंदर जाने वाली सुरंग का मुहाना धूल से बंद हो गया
अमेरिका के हमलों से पहाड़ी में छह जगह बड़े सुराख हुए हैं. इसमें दिख रहा है कि कुछ जगहों पर हमलों से ज़मीन गहरी धंस गई है. ये जो सुराख आप देख रहे हैं वहां से बंकर बस्टर बम जमीन के अंदर घुस कर फटे हैं और फोर्डो एनरिचमेंट प्लांट के अंदर जाने वाली सुरंग का मुहाना धूल से बंद हो गया है.

सेंट्रीफ़्यूज़ हॉल 250 मीटर लंबा है जो दो सुरंगों से जुड़ा
जानकारों के मुताबिक अमेरिका ने ये हमले फोर्डो के भूमिगत सेंट्रीफ्यूज हॉल पर किए, जिसके ब्लूप्रिंट को आप तस्वीर में देख सकते हैं. Sky News ने ईरान के न्यूक्लियर आर्काइव की कुछ तस्वीरों के हवाले से फोर्डो साइट का ब्लूप्रिंट दिखाया है. ये ब्लूप्रिंट 2004 से पहले का है जिसे इज़रायल के जासूसों ने 2018 में हासिल कर लिया. इसमें सेंट्रीफ़्यूज़ हॉल 250 मीटर लंबा है जो दो सुरंगों से जुड़ा हुआ है. इसी हॉल में क़रीब 3000 सेंट्रीफ्यूज रखे गए थे. इन सेंट्रीफ्यूज में से अधिकतर एडवांस्ड IR-6 मशीन बताई गई हैं. सेंट्रीफ़्यूज़ यानी वो उपकरण जो यूरेनियम को एनरिच कर उसे हथियार लायक बनाते हैं.
International Atomic Energy Agency (IAEA) ने 2023 में इस बात की पुष्टि की थी कि फोर्डो साइट पर ईरान ने 83.7% शुद्धता तक यूरेनियम को एनरिच कर लिया है, जो हथियार बनाने लायक 90% से बस कुछ ही कम है. IAEA के मुताबिक ईरान 2015 के एक समझौते का उल्लंघन करते हुए दो साल से खुलेआम 60% शुद्धता तक यूरेनियम को एनरिच कर रहा था, जिससे अमेरिका और पश्चिमी देश नाराज़ थे.

2009 तक ये एनरिचमेंट प्लांट दुनिया की नजरों से छुपा हुआ था. 2009 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस को इसका पता लगा. अमेरिका का दावा है कि उसने अपने हमलों में इस सेंट्रीफ़्यूज हॉल को तबाह कर दिया और उसके साथ ही सारे सेंट्रीफ़्यूज भी तबाह हो गए. लेकिन दुनिया के कई जानकार अमेरिका के दावों पर सवाल उठा रहे हैं.
सरकारी प्रसारण के उप प्रमुख हसन आबेदिनी ने क्या बताया?
खुद ईरान के सरकारी प्रसारण के उप प्रमुख हसन आबेदिनी ने कहा कि ईरान ने फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़ाहान से एनरिच़्ड यूरेनियम रिज़र्व निकालकर सुरक्षित जगह भेज दिए थे और वहां कुछ भी नहीं रह गया था. अगर उन पर निशाना लगा होता तो रेडिएशन होता जो हमारे देश के लोगों के लिए ख़तरनाक हो सकता था.
अमेरिकी हमलों के बाद इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी - IAEA ने सोशल मीडिया X पर कहा था कि ईरान में फोर्डो समेत तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद रेडिएशन में कोई इजाफ़ा नहीं हुआ है. इससे भी इस बात को बल मिलता है कि इन परमाणु ठिकानों में कोई ऐसी सामग्री नहीं थी जिस पर विस्फोट से रेडिएशन पैदा होता.

जियो इंटेलिजेंस रिसर्चर डेमियन साइमन ने क्या दवा किया?
एक जियो इंटेलिजेंस रिसर्चर डेमियन साइमन ने भी रविवार को ही सोशल मीडिया X पर कुछ तस्वीरों को शेयर करते हुए कहा कि हो सकता है ईरान ने फर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी के कुछ अहम उपकरणों को हमलों से पहले ही कहीं और शिफ्ट कर दिया हो. उन्होंने जॉन पोलक नाम के एक रिसर्चर की पोस्ट को फॉरवर्ड करते हुए लिखा कि फोर्डो पर अमेरिकी हमलों से पहले मैक्सर की सैटलाइट तस्वीर बता रही हैं कि वहां से साज़ो सामान को कहीं और शिफ्ट किया जा रहा है. 19 और 20 जून को कई ट्रक और भारी मशीनरी यहां फोर्डो के प्रवेश द्वार पर जमा दिख रहे हैं. जॉन पोलक ब्रिटेन के थिंक टैंक चैथम हाउस में कम्युनिकेशंस का ज़िम्मा संभालते हैं. उन्होंने अपनी पोस्ट में तीन तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि ये अहम दिख रहा है.
इस्फ़ाहान, नतांज़ और फोर्डो पर अमेरिका के हमलों से पहले Maxar की सैटलाइट तस्वीरें बता रही है कि 19 और 20 जून को फोर्डो के प्रवेश द्वार पर भारी मशीनरी के साथ 16 ट्रक जमा हुए हैं.
हालांकि, कई जानकार कहते हैं कि ईरान ने इन एडवांस्ड सेंट्रीफ्यूज और अन्य जटिल उपकरणों को फोर्डो से निकालने की कोशिश की होगी. लेकिन ये एक काफ़ी पेचीदा और समय लेने वाला काम है. कई जानकारों के मुताबिक ईरान में ऐसी कई और फैसिलिटी भी हैं जिनके बारे में दुनिया को नहीं पता और जहां हो सकता है ईरान ने अपनी परमाणु सामग्री को शिफ्ट कर दिया हो.
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