दिल्ली के एलजी जंग और केजरीवाल
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर चल रही जंग में एक नया मोड़ आ गया है। इस लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार को झटका लगा है। दिल्ली सरकार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ये मामला पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट को क्या आदेश दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम इसे खारिज कर रहे हैं। इस पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जी वापस ले ली।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि अधिकारों को लेकर जुड़े मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट में बड़ी बेंच पहले सुनवाई कर तय करे कि दोनों के अधिकार क्या होंगे। अधिकारों से जुड़े विशिष्ट विषयों पर अलग से सुनवाई हो। गौरतलब है कि अधिकारों को लेकर करीब आठ मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर काफी विवाद रहा है। कई मामलों में दोनों आमने-सामने खड़े दिखे और उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के निर्णय को खारिज भी किया था। दिल्ली सरकार ऐसे आठ मामलों को लेकर हाई कोर्ट पहुंची थी।
हाई कोर्ट ने 5 अप्रैल के आदेश में दिल्ली सरकार की उस अर्जी पर प्रारंभिक सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया था, जिसमें दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों का मामला हाई कोर्ट की बड़ी पीठ को भेजे जाने का आग्रह किया गया था। दिल्ली सरकार चाहती थी कि हाई कोर्ट में एक बड़ी बेंच बनाकर पहले इसपर सुनवाई हो कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार क्या हैं। क्या उपराज्यपाल को उसी तरह मंत्रिमंडल के सुझावों पर ही निर्णय लेने को बाध्य होना चाहिए या नहीं जिस तरह संसदीय परंपरा में दूसरी सरकारों में होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ये मामला पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट को क्या आदेश दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम इसे खारिज कर रहे हैं। इस पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जी वापस ले ली।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि अधिकारों को लेकर जुड़े मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट में बड़ी बेंच पहले सुनवाई कर तय करे कि दोनों के अधिकार क्या होंगे। अधिकारों से जुड़े विशिष्ट विषयों पर अलग से सुनवाई हो। गौरतलब है कि अधिकारों को लेकर करीब आठ मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर काफी विवाद रहा है। कई मामलों में दोनों आमने-सामने खड़े दिखे और उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के निर्णय को खारिज भी किया था। दिल्ली सरकार ऐसे आठ मामलों को लेकर हाई कोर्ट पहुंची थी।
हाई कोर्ट ने 5 अप्रैल के आदेश में दिल्ली सरकार की उस अर्जी पर प्रारंभिक सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया था, जिसमें दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों का मामला हाई कोर्ट की बड़ी पीठ को भेजे जाने का आग्रह किया गया था। दिल्ली सरकार चाहती थी कि हाई कोर्ट में एक बड़ी बेंच बनाकर पहले इसपर सुनवाई हो कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार क्या हैं। क्या उपराज्यपाल को उसी तरह मंत्रिमंडल के सुझावों पर ही निर्णय लेने को बाध्य होना चाहिए या नहीं जिस तरह संसदीय परंपरा में दूसरी सरकारों में होता है।
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