122 टेलीकॉम का लाइसेंस रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस सिंघवी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले पर कहा, दोनों मामले अलग थे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने साल 2012 में 122 टेलीकॉम कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए थे. इस डबल बेंच में जस्टिस जीएस सिंघवी भी थे जिन्होंने 122 टेलीकॉम कंंपनियों के लाइसेंस रद्द किए थे. रिटायर जस्टिस सिंघवी ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि सीबीआई कोर्ट में 2जी का जो मामला आया वो सुप्रीम कोर्ट के मामले से बिल्कुल अलग था.
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जस्टिस सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने जो मामला आया वो स्पेक्ट्रम की नीलामी और प्राकृतिक संसाधनों के वितरण के मौलिक सिद्धांत से जुड़ा था. उन्होंने कहा कि हमने कहा था इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती थी.
उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम आवंटन में कोई साजिश थी और कोई भ्रष्टाचार था यह मामला हमारे सामने नहीं आया था. इस पर सीबीआई अदालत ने फैसला लेना था.
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जस्टिस सिंघवी ने कहा कि नीलामी के बाद सरकार ने पहली बार कहा था कि 65000 करोड़ रुपये आए थे. अब ये कहा जा रहा है कि राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ था. किसने किया ये? ये लोगों को तय करना है.
गौरतलब है कि मनमोहन सिंह नीत संप्रग - 2 सरकार को हिला कर रख देने वाले टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक नेता कनीमोई सहित अन्य सभी आरोपियों को गुरुवार को बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन इस मामले में किसी तरह का भ्रष्टाचार और धन शोधन के आरोपों को साबित करने में बुरी तरह से नाकाम रहा. इस बीच, ईडी और सीबीआई ने कहा कि वे फैसलों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. वहीं, अदालत का फैसला आने के बाद भाजपा और विपक्ष के बीच राजनीतिक छींटाकशी शुरू हो गई.
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इस फैसले को अपने आप में अप्रत्याशित और सनसनीखेज माना जा रहा है क्योंकि इस मामले को भाजपा ने 2014 के आम चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन संप्रग शासन के खिलाफ बार बार उछाला था. भाजपा ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया था और संपग्र - 2 सरकार को इस मुद्दे पर घेरा था.
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जस्टिस सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने जो मामला आया वो स्पेक्ट्रम की नीलामी और प्राकृतिक संसाधनों के वितरण के मौलिक सिद्धांत से जुड़ा था. उन्होंने कहा कि हमने कहा था इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती थी.
उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम आवंटन में कोई साजिश थी और कोई भ्रष्टाचार था यह मामला हमारे सामने नहीं आया था. इस पर सीबीआई अदालत ने फैसला लेना था.
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जस्टिस सिंघवी ने कहा कि नीलामी के बाद सरकार ने पहली बार कहा था कि 65000 करोड़ रुपये आए थे. अब ये कहा जा रहा है कि राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ था. किसने किया ये? ये लोगों को तय करना है.
गौरतलब है कि मनमोहन सिंह नीत संप्रग - 2 सरकार को हिला कर रख देने वाले टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक नेता कनीमोई सहित अन्य सभी आरोपियों को गुरुवार को बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन इस मामले में किसी तरह का भ्रष्टाचार और धन शोधन के आरोपों को साबित करने में बुरी तरह से नाकाम रहा. इस बीच, ईडी और सीबीआई ने कहा कि वे फैसलों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. वहीं, अदालत का फैसला आने के बाद भाजपा और विपक्ष के बीच राजनीतिक छींटाकशी शुरू हो गई.
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