- DDA द्वारा विकसित बांसेरा पार्क में आसपास के इलाकों की तुलना में हवा साफ और प्रदूषण कम पाया गया है.
- DTU की स्टडी में बांसेरा पार्क ने तापमान कम करने और अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव घटाने में अहम भूमिका निभाई.
- पार्क में PM2.5, PM10, NO2 और CO प्रदूषकों की मात्रा आसपास के व्यस्त इलाकों की तुलना में काफी कम दर्ज हुई है.
दिल्ली में जहां एक तरफ प्रदूषण और बढ़ता तापमान लोगों की सेहत पर सीधा असर डाल रहा है, वहीं यमुना के किनारे विकसित बांसेरा पार्क उम्मीद की एक हरी तस्वीर पेश करता है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा तैयार किए गए इस बांस-आधारित अर्बन ग्रीन स्पेस को अब वैज्ञानिक आंकड़ों का भी समर्थन मिल गया है.
LG कार्यालय के निर्देश पर दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) के प्रोफेसर अनिल हरिताश की अगुवाई में की गई स्टडी में सामने आया है कि बांसेरा पार्क न सिर्फ आसपास के इलाकों की तुलना में बेहतर हवा देता है, बल्कि तापमान कम करने और अर्बन हीट आइलैंड (UHI) प्रभाव को घटाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है.

आसपास के इलाकों से साफ हवा
28 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच लिए गए चार दिन के औसत आंकड़ों के मुताबिक, PM2.5, PM10 और NO2 जैसे खतरनाक प्रदूषकों की मात्रा बांसेरा पार्क में ITO, पटपड़गंज और नेहरू नगर जैसे व्यस्त इलाकों से काफी कम पाई गई. PM2.5 में ITO के मुकाबले करीब 20% की कमी, PM10 में 26% तक की गिरावट और NO2 में तो 96% तक कम स्तर दर्ज किया गया. यही वजह है कि बांसेरा का AQI भी आसपास के इलाकों की तुलना में बेहतर रहा.
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ग्रीन स्पेस बनाम कंक्रीट
नवंबर 2025 में की गई दूसरी स्टडी में जब बांसेरा पार्क की हवा की तुलना ISBT सराय काले खां जैसे भारी ट्रैफिक वाले शहरी ढांचे से की गई, तो फर्क और साफ दिखा. PM2.5 में 37%, PM10 में 27% और CO में 57% तक की कमी दर्ज हुई. AQI भी लगभग 17% कम पाया गया. यह दिखाता है कि ग्रीन स्पेस किस तरह शहर के भीतर ही एक सेफ जोन तैयार कर सकते हैं.

ठंडक का नेचुरल समाधान
सिर्फ हवा ही नहीं, तापमान के मोर्चे पर भी बांसेरा आगे है. बांस की छाया वाले हिस्सों में सुबह, दोपहर और शाम- तीनों समय तापमान खुले इलाकों से कम दर्ज किया गया. औसतन करीब 4% तक ठंडक मिली. पूरे पार्क के अंदर का औसत तापमान, पार्क से सिर्फ 100 मीटर बाहर के मुकाबले लगभग 10% कम रहा. यही नहीं, जमीन का तापमान भी बांस की छाया में खुले इलाकों से 7% तक कम पाया गया.
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मिट्टी भी ज्यादा सेहतमंद
स्टडी में बांसेरा पार्क की मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर पाई गई. लोधी गार्डन जैसे स्थापित ग्रीन स्पेस के मुकाबले यहां
• Soil Organic Carbon करीब 59% ज़्यादा,
• Soil Organic Matter लगभग 62% अधिक,
• और मिट्टी में नमी भी बेहतर रही.
यह संकेत देता है कि बांस आधारित ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर न सिर्फ हवा और तापमान, बल्कि जमीन की सेहत को भी सुधारता है.
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क्यों खास है बांसेरा मॉडल?
DTU की स्टडी के मुताबिक, बांस तेजी से कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है और ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ता है. इसकी घनी पत्तियां और तना Particulate matter और गैसीय प्रदूषकों को रोकने में मदद करते हैं. यही वजह है कि बांसेरा पार्क एक तरह से नेचुरल एयर फ़िल्टर की तरह काम कर रहा है.
क्या दिल्ली के लिए समाधान बन सकता है?
स्टडी का निष्कर्ष साफ है. अर्बन बांस-आधारित ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर शहरों में प्रदूषण कम करने, तापमान नियंत्रित रखने, अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव घटाने और पर्यावरणीय सेहत सुधारने में असरदार साबित हो सकता है. सवाल अब यह है कि क्या दिल्ली जैसे प्रदूषण से जूझते शहर में बांसेरा पार्क जैसा मॉडल और जगहों पर अपनाया जाएगा?
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