राम मंदिर के लिए संकल्प रथ यात्रा
नई दिल्ली:
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर न सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तेज है, बल्कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ भी काफी सक्रिय हो गया है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की कवायद में जुटा आरएसएस आज से देश की राजधानी दिल्ली में यात्रा निकाल रहा है. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज से दिल्ली में संकल्प रथ यात्रा निकाला है. ये यात्रा 9 दिन चलेगी. इस यात्रा की शुरुआत झंडेवालां मंदिर से हुई. 9 दिसंबर को जब ये यात्रा ख़त्म होगी तब विश्व हिंदू परिषद एक धर्म सभा का आयोजन कर रही है. इस यात्रा में स्वदेशी जागरण मंच और संघ की इकोनॉमिक विंग के साथ सभी संस्थाएं शामिल हो रही हैं.
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दरअसल, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने आक्रामक रुख अपना लिया है. संघ की इस रथ यात्रा का मकसद राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर के लोगों का समर्थन जुटाना है. गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद और संत समाज पहले से ही इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं. संघ के प्रांत संघचालक कुलभूषण आहूजा दिल्ली के झंडेवालान मंदिर से हरी झंडी दिखाई. लेकिन जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा था इस यात्रा को लेकर, ज़मीन पर इसके उलट तस्वीर दिखी और मुश्किल से 100 लोग भी रथ यात्रा में शामिल नहीं हुए. इस तरह से पहले दिन संघ की रथ यात्रा दिल्ली में फ़ीकी ही रही.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, वीएचपी और संत समाज की ओर से लगातार मोदी सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि सरकार तुरंत कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण करें. सरकार से मांग की जा रही है कि अध्यादेश लाकर या कानून बनाकर इसका हल निकाला जाए.
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दरअसल, बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में 'धर्म सभा' का आयोजन करवाया था. इसमें देशभर के संतों ने हिस्सा लिया था. धर्म सभा में अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग उठाई गई थी. सरकार से मांग की गई थी कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाया जाए. इसी दिन शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी अयोध्या पहुंचे थे. अयोध्या में उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि अगर राम मंदिर नहीं बना तो दोबारा भाजपा सरकार नहीं आएगी.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था धैर्य का समय अब खत्म हुआ और अगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला उच्चतम न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है तो मंदिर निर्माण कार्य के लिये कानून लाना चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘एक साल पहले मैंने स्वयं कहा था कि धैर्य रखें. अब मैं ही कह रहा हूं कि धैर्य से काम नहीं होगा. अब हमें लोगों को एकजुट करने की जरूरत है. अब हमें कानून की मांग करनी चाहिए.''
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बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या में यथाशीघ्र राम मंदिर के निर्माण के लिए एक अध्यादेश लाने या कानून बनाने की मांग कर रहा है. इतना ही नहीं, संघ का कहना कि विवादित भूमि मामले की सुनवाई में विलंब करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला हिंदू भावनाओं को “आहत” करता है. आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने शीर्ष अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दी है.
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दरअसल, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने आक्रामक रुख अपना लिया है. संघ की इस रथ यात्रा का मकसद राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर के लोगों का समर्थन जुटाना है. गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद और संत समाज पहले से ही इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं. संघ के प्रांत संघचालक कुलभूषण आहूजा दिल्ली के झंडेवालान मंदिर से हरी झंडी दिखाई. लेकिन जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा था इस यात्रा को लेकर, ज़मीन पर इसके उलट तस्वीर दिखी और मुश्किल से 100 लोग भी रथ यात्रा में शामिल नहीं हुए. इस तरह से पहले दिन संघ की रथ यात्रा दिल्ली में फ़ीकी ही रही.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, वीएचपी और संत समाज की ओर से लगातार मोदी सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि सरकार तुरंत कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण करें. सरकार से मांग की जा रही है कि अध्यादेश लाकर या कानून बनाकर इसका हल निकाला जाए.
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दरअसल, बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में 'धर्म सभा' का आयोजन करवाया था. इसमें देशभर के संतों ने हिस्सा लिया था. धर्म सभा में अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग उठाई गई थी. सरकार से मांग की गई थी कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाया जाए. इसी दिन शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी अयोध्या पहुंचे थे. अयोध्या में उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि अगर राम मंदिर नहीं बना तो दोबारा भाजपा सरकार नहीं आएगी.
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था धैर्य का समय अब खत्म हुआ और अगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला उच्चतम न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है तो मंदिर निर्माण कार्य के लिये कानून लाना चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘एक साल पहले मैंने स्वयं कहा था कि धैर्य रखें. अब मैं ही कह रहा हूं कि धैर्य से काम नहीं होगा. अब हमें लोगों को एकजुट करने की जरूरत है. अब हमें कानून की मांग करनी चाहिए.''
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बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या में यथाशीघ्र राम मंदिर के निर्माण के लिए एक अध्यादेश लाने या कानून बनाने की मांग कर रहा है. इतना ही नहीं, संघ का कहना कि विवादित भूमि मामले की सुनवाई में विलंब करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला हिंदू भावनाओं को “आहत” करता है. आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने शीर्ष अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दी है.
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