फोन से 100 या 112 नम्बर डायल करते ही दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की लाइफ लाइन कही जाने वाली पीसीआर वैन (PCR Van) कहीं भी मौके पर पहुंचती है. ऐसी 850 पीसीआर वैन का बेड़ा अब तक पीसीआर विभाग के अधीन काम कर रहा था, लेकिन बुधवार यानी 1 सितंबर से ये सभी इमरजेंसी गाड़ियां और इनमें काम करने वाले करीब 8,000 पुलिसकर्मी जिला पुलिस में शामिल हो जाएंगे यानी जिला पुलिस के अधीन काम करेंगे.
इतना ही नहीं अब पीसीआर वैन का नाम बीट पेट्रोलिंग व्हीकल हो गया है. ये गाड़ियां जिला पुलिस के हर थाने के साथ अटैच हो जाएंगी और हर थाने के एसएचओ की निगरानी में ये वैन काम करेंगी. ये न केवल इमरजेंसी कॉल अटेंड करेंगी बल्कि बीट स्टाफ के साथ पेट्रोलिंग भी करेंगी.
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, इस कदम से हर थाने का स्टाफ भी बढ़ जाएगा और निगरानी के लिए उसके पास वाहन भी बढ़ जाएंगे. जैसे मान लीजिए एक थाने इलाके में अगर 7 पीसीआर वैन तैनात रहतीं थी और इनमें हर वैन में 3 लोगों के हिसाब से 21 लोगों का स्टाफ तैनात था तो अब ये पूरा स्टाफ और 7 वाहन उस थाने को मिल जाएंगे. अब पीसीआर वैन और लोकल पुलिस की बीट को मिलाकर एक 7 नई बीट बनाई गयी है. इस तरह बीट वैन 24 घंटे अपनी बीट में तैनात रहेगी और गश्त करेगी.
ये कदम इसलिए भी उठाया गया क्योंकि अभी तक अगर पीसीआर कॉल होती थी तो पहले पीसीआर वैन मौके पर पहुंचती है फिर लोकल पुलिस स्टेशन की पुलिस को बुलाया जाता था और इस वजह से कार्रवाई में समय लगता था. पुलिस के मुताबिक, पीसीआर स्टाफ के लोकल पुलिस में शामिल होने से हर जिले में लगभग 500 पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ेगी और पेट्रोलिंग के लिए भी हर थाने में वाहनों बढ़ जाएंगे.
वहीं, दिल्ली पुलिस के पीसीआर विभाग के पास बुधवार से सेंट्रल कमांड रूम और टूरिस्ट पीसीआर वैन बचेंगी. सेंट्रल कमांड रूम पहले की तरह काम करता रहेगा यानी आप 100 या 112 नम्बर पर कॉल करते हैं तो कॉल इसी सेंट्रल कमांड रूम में जाएगी और वहां से कॉल बीट पेट्रोलिंग व्हीकल को मिलेगी.
हालांकि, पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना का ये नया प्रयोग देश की राजधानी में अपराध को रोकने में कितना कारगर होगा ये वक्त तय करेगा. पुलिस कमिश्नर ने ऐसी बीट जहां ज्यादा स्कूल ,कॉलेज हैं वहां महिला बीट अफसरों को तैनात करने के भी आदेश दिए हैं. इसके अलावा कल से हर थाने में जांच करने वाले और कानून व्यवस्था संभालने वाली पुलिस टीम अलग अलग होगी. एसएचओ के अधीन काम करने वाले 2 इंस्पेक्टरों एटीओ और ब्रेवो के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार जिला डीसीपी को होगा.
वीडियो: दिल्ली पुलिस के कर्मचारी की बच्ची को दुर्लभ बीमारी, इलाज के लिए हर साल ढाई करोड़ की जरूरत
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं