नई दिल्ली:
दिल्ली में ऑड ईवन फॉर्मूला का दूसरा संस्करण शुक्रवार से शुरू हो गया है। इसके लागू होने के पहले दिन कुल 1,311 कारों का चालान कटा। पंद्रह दिन चलने वाले इस नियम का पालन नहीं करने के लिए प्रति वाहन 2000 रुपये की रसीद काटी गई। जैसा कि जनवरी में हुआ था, इस बार भी 30 अप्रैल तक निजी वाहन अपनी नंबर प्लेट के हिसाब से वैकल्पिक दिनों में सड़क पर उतरेंगे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से इस योजना की सफलता के लिए सहयोग मांगा -
रामनवमी की छुट्टी होने की वजह से शुक्रवार को दिल्ली की सड़कों पर कम ही लोग नज़र आए। इसके बावजूद कई लोगों को 40 डिग्री तापमान में सार्वजनिक परिवहन के अपर्याप्त होने की शिकायत थी।
इमरजेंसी वाहन, महिला चालक और दो पहिया गाड़ियों को नियम से छूट मिली हुई है। साथ ही वीआईपी इस दायरे से बाहर हैं - हालांकि जनवरी महीने में भारत के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कार पूलिंग करके एक अच्छा उदाहरण पेश किया था। इस बार भी 2000 पुलिसकर्मियों के साथ 5000 स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर इस नियम की निगरानी रखने का जिम्मा उठा रखा है। इनमें कुछ सेवानिवृत्त डिफेंस अफसर भी शामिल हैं।
केजरीवाल की सरकार का दावा है कि जनवरी में शुरू किए गए ऑड ईवन नियम से प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है। साल के शुरुआती पंद्रह दिन तक राजधानी की 30 लाख कारों में से एक तिहाई सड़कों से नदारद रही थी। हालांकि विशेषज्ञ सरकार के इस दावे से सहमत नहीं दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री का कहना है कि इस महीने दोबारा लागू हुए इस नियम के नतीजे से पता चलेगा कि ऑड ईवन को हर महीने लागू किया जा सकता है या नहीं। बता दें कि पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में प्रदूषण स्तर के मामले में दिल्ली को सबसे ऊपर रखा था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से इस योजना की सफलता के लिए सहयोग मांगा -
Odd even starts today. Lets all join hands and resolve to make it a success.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 15, 2016
रामनवमी की छुट्टी होने की वजह से शुक्रवार को दिल्ली की सड़कों पर कम ही लोग नज़र आए। इसके बावजूद कई लोगों को 40 डिग्री तापमान में सार्वजनिक परिवहन के अपर्याप्त होने की शिकायत थी।
इमरजेंसी वाहन, महिला चालक और दो पहिया गाड़ियों को नियम से छूट मिली हुई है। साथ ही वीआईपी इस दायरे से बाहर हैं - हालांकि जनवरी महीने में भारत के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कार पूलिंग करके एक अच्छा उदाहरण पेश किया था। इस बार भी 2000 पुलिसकर्मियों के साथ 5000 स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर इस नियम की निगरानी रखने का जिम्मा उठा रखा है। इनमें कुछ सेवानिवृत्त डिफेंस अफसर भी शामिल हैं।
केजरीवाल की सरकार का दावा है कि जनवरी में शुरू किए गए ऑड ईवन नियम से प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है। साल के शुरुआती पंद्रह दिन तक राजधानी की 30 लाख कारों में से एक तिहाई सड़कों से नदारद रही थी। हालांकि विशेषज्ञ सरकार के इस दावे से सहमत नहीं दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री का कहना है कि इस महीने दोबारा लागू हुए इस नियम के नतीजे से पता चलेगा कि ऑड ईवन को हर महीने लागू किया जा सकता है या नहीं। बता दें कि पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में प्रदूषण स्तर के मामले में दिल्ली को सबसे ऊपर रखा था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं