आम आदमी पार्टी के दफ्तर को तुरंत खाली करने का आदेश दिया गया है
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) के अफसरों ने आम आदमी पार्टी को नोटिस जारी कर आदेश दिया है कि वह ITO के पास स्थित 206 राउज एवेन्यू के अपने दफ्तर को तुरंत खाली करे और लोक निर्माण विभाग को सौंपे. नोटिस में कहा गया है कि ये आवंटन नियम के खिलाफ किया गया था, इसलिए इसको रद्द कर दिया गया है.
इस आदेश पर आप नेता आशीष खेतान ने कहा है कि देश की राजनीति में पहली बार होगा कि एक ऐसा राजनीतिक दल, जिसके 70 में से 67 विधायक हैं, जिसकी दिल्ली में सरकार है, उसको कहा जा रहा है कि पार्टी ऑफिस खाली कर दो. क्या दिल्ली में हमारा एक ऑफिस भी नहीं होना चाहिए?
गौरतलब है कि शुंगलू समिति की रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने अधिकार से बाहर जाकर विशेष रूप से आम आदमी पार्टी को दफ़्तर देने के लिए पॉलिसी बनाई. यह नियम के खिलाफ था, इसलिए ये पॉलिसी रद्द होनी चाहिए. इसके बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश जारी करके आम आदमी पार्टी के दफ़्तर का आवंटन रद्द कर दिया था.
उपराज्यपाल के इस आदेश पर आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी. केजरीवाल ने तल्ख अंदाज में कहा कि भले ही हमसे ऑफिस छीन लें, हम सड़क से भी काम करेंगे. उन्होंने कहा कि कानून के तहत उनकी पार्टी को दफ्तर दिया गया था.
केजरीवाल ने कहा था कि माफिया से भिड़ने और गरीबों का साथ देने के लिए उनकी पार्टी को सताया जा रहा है. उन्होंने कहा, वे हमें खत्म करना चाहता हैं, लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि हम सच्चाई के रास्ते पर हैं. लोग उन्हें चुनावों में सबक सिखाएंगे.
केजरीवाल सरकार ने नवंबर, 2015 में राज्य-स्तरीय पार्टियों को जमीन आवंटित करने की नीति को मंजूरी देते हुए आप कार्यालय के लिए इस बंगले का आवंटन किया था. शुंगलू समिति ने संविधान के तहत दिल्ली में जमीन, कानून-व्यवस्था और पुलिस से जुड़े मामले केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में होने के आधार पर केजरीवाल सरकार की आवंटन नीति को रद्द करने की सिफारिश की.
इस आदेश पर आप नेता आशीष खेतान ने कहा है कि देश की राजनीति में पहली बार होगा कि एक ऐसा राजनीतिक दल, जिसके 70 में से 67 विधायक हैं, जिसकी दिल्ली में सरकार है, उसको कहा जा रहा है कि पार्टी ऑफिस खाली कर दो. क्या दिल्ली में हमारा एक ऑफिस भी नहीं होना चाहिए?
गौरतलब है कि शुंगलू समिति की रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने अधिकार से बाहर जाकर विशेष रूप से आम आदमी पार्टी को दफ़्तर देने के लिए पॉलिसी बनाई. यह नियम के खिलाफ था, इसलिए ये पॉलिसी रद्द होनी चाहिए. इसके बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश जारी करके आम आदमी पार्टी के दफ़्तर का आवंटन रद्द कर दिया था.
उपराज्यपाल के इस आदेश पर आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी. केजरीवाल ने तल्ख अंदाज में कहा कि भले ही हमसे ऑफिस छीन लें, हम सड़क से भी काम करेंगे. उन्होंने कहा कि कानून के तहत उनकी पार्टी को दफ्तर दिया गया था.
केजरीवाल ने कहा था कि माफिया से भिड़ने और गरीबों का साथ देने के लिए उनकी पार्टी को सताया जा रहा है. उन्होंने कहा, वे हमें खत्म करना चाहता हैं, लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि हम सच्चाई के रास्ते पर हैं. लोग उन्हें चुनावों में सबक सिखाएंगे.
केजरीवाल सरकार ने नवंबर, 2015 में राज्य-स्तरीय पार्टियों को जमीन आवंटित करने की नीति को मंजूरी देते हुए आप कार्यालय के लिए इस बंगले का आवंटन किया था. शुंगलू समिति ने संविधान के तहत दिल्ली में जमीन, कानून-व्यवस्था और पुलिस से जुड़े मामले केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में होने के आधार पर केजरीवाल सरकार की आवंटन नीति को रद्द करने की सिफारिश की.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं