
Cyber Crime: देशभर में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. साइबर अपराधी, लोगों को ठगने के नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. साइबर अपराधी कभी सीबीआई, तो कभी पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को डराते हैं और पैसे ठगते हैं. दिल्ली पुलिस की साइबर पश्चिम थाना टीम ने एक ऐसे साइबर फ्रॉड गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो लोगों को बैंक अधिकारी बनकर कॉल करता था और फिर एक खतरनाक .APK ऐप भेजकर उनके मोबाइल पर कंट्रोल हासिल कर लेता था. इस केस में गिरोह के एक मास्टरमाइंड को झारखंड से गिरफ्तार किया गया है.
ऐसे भेजा था मालवेयर ऐप
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, आरोपी खुद को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) का असिस्टेंट मैनेजर बताकर एक शख्स से संपर्क में आया. उसने पीड़ित को कहा कि वह उसके दो IPPB खातों को लिंक करने में मदद करेगा और इसके लिए एक ऐप भेजा. इसके बाद आरोपी ने व्हाट्सऐप (WhatsApp) कॉल के दौरान पीड़ित से मोबाइल स्क्रीन शेयर करवाई और देखते ही देखते ₹15 लाख की ठगी कर डाली.

झारखंड से जुड़े साइबर ठगी के तार
17 अप्रैल 2025 को पश्चिमी दिल्ली के साइबर थाने में दो शिकायतें दर्ज हुई थीं. जांच के दौरान मोबाइल नंबरों और आईपी एड्रेस की जांच करते हुए टीम झारखंड के जामताड़ा तक पहुंची. साइबर ठकी के तारों को जोड़ते हुए पुलिस ने छापा मारा और एक आरोपी को गिरफ्तार किया. पुलिस अब इस शख्स से पूछताछ कर रही है और ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं इस ठगी के तार ऊपर तक तो नहीं जुड़े हैं.
साइबर ठगी का पुराना खिलाड़ी है आरोपी
गिरफ्तार आरोपी की पहचान सनाउल मियां के रूप में हुई है. उसके पास से दो मोबाइल फोन बरामद हुए हैं, जिनमें बैंक डिटेल्स, चैट्स और कॉल रिकॉर्डिंग जैसी अहम सबूत मिले हैं. पूछताछ में सनाउल ने बताया कि उसने अपने साथी वसीम उर्फ पाचू के साथ मिलकर कई लोगों को ठगा है. वो लोग टेलीग्राम पर फर्जी बैंक खातों की डीलिंग करते थे और उन्हीं खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर होती थी. गिरफ्तार आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड भी सामने आया है. वह पहले भी साइबर आउटर नॉर्थ थाने में दर्ज एक केस में शामिल रह चुका है.
कैसे करते थे ठगी, पूरा तरीका जानिए
लोगों को ठगने का इस साइबर गैंग का तरीका बेहद जुदा था. वसीम फर्जी बैंक कस्टमर केयर नंबर के नाम से गूगल पर एड चलाता था. जो भी लोग असली कस्टमर केयर नंबर खोजते, वो इनसे जुड़ जाते. इसके बाद वसीम खुद को बैंक अफसर बताकर कॉल करता, भरोसा जीतता और फिर .APK ऐप भेजकर स्क्रीन शेयर करवाता. एक बार स्क्रीन शेयर हो गई, तो मोबाइल का पूरा कंट्रोल इनके पास आ जाता था. रोजाना करीब 50-60 कॉल्स आते थे, और इनमें से 4-5 लोगों से तो ये आसानी से पैसा उड़ा लेते थे. सनाउल ने खुलासा किया है कि इस पूरे नेटवर्क में उसका साथी वसीम भी शामिल है, जिसकी तलाश पुलिस कर रही है और जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
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