
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में एक आरोपी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा. उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला की गवाही भरोसे लायक नहीं है और यह विरोधाभासी है. अदालत ने कहा कि महिला ने कथित बलात्कार और शिकायत दर्ज करने वाले दिन के बीच आरोपी को 529 बार फोन किया. न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने आरोपी को बरी करने के खिलाफ महिला की अपील को खारिज करते हुए कहा कि वह निचली अदालत के इस नजरिये से सहमत है कि महिला की गवाही बहुत अविश्वसनीय और भरोसा न करने लायक है.
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निचली अदालत ने पांच जनवरी को आरोपी को बरी किया था. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि महिला के बयान में आरोपी से मिलने, कथित घटना होने तथा रिपोर्ट दर्ज कराने में देरी को लेकर कई विरोधाभास हैं. पीठ ने कहा कि महिला ने निचली अदालत में दावा किया था कि वह आरोपी से सोशल मीडिया साइट लिंक्डइन पर मिली लेकिन उसने पुलिस को दी शिकायत में ऐसा नहीं कहा.
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अदालत ने कहा कि आरोपी ने महिला का फोन ले लिया था लेकिन फोन मिलने के बाद भी उसने पुलिस को 30 दिन तक फोन नहीं किया और इस दौरान आरोपी को 529 बार फोन किया. (इनपुट-भाषा)
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