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दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ ‘अपमानजनक’ सामग्री हटाने का निर्देश दिया

न्यायाधीश ने ईशा फाउंडेशन के मुकदमे पर अंतरिम आदेश में ‘एक्स’, मेटा और गूगल को जगदीश ‘जग्गी’ वासुदेव उर्फ ​​सद्‌गुरु की संस्था के खिलाफ कथित अपमानजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ ‘अपमानजनक’ सामग्री हटाने का निर्देश दिया
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आध्यात्मिक गुरु सद्‌गुरु के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह द्वारा अपलोड किए गए वीडियो और प्रकाशित सामग्री को ऑनलाइन मंच से हटाने का बुधवार को आदेश दिया. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि ‘क्लिकबेट' शीर्षक वाले यूट्यूब वीडियो के लगातार प्रसारित होने से ट्रस्ट की प्रतिष्ठा धूमिल होने की आशंका है. इसने सिंह को आरोपों को आगे प्रकाशित करने से रोक दिया.

न्यायाधीश ने ईशा फाउंडेशन के मुकदमे पर अंतरिम आदेश में ‘एक्स', मेटा और गूगल को जगदीश ‘जग्गी' वासुदेव उर्फ ​​सद्‌गुरु की संस्था के खिलाफ कथित अपमानजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया. अदालत ने प्रथम दृष्टया कहा कि सिंह ने ‘‘पूरी तरह से असत्यापित सामग्री'' के आधार पर वीडियो बनाया. इसने मई में अगली सुनवाई तक लोगों को इसे सोशल मीडिया मंच पर अपलोड करने या साझा करने से रोक दिया.

इसने कहा कि वीडियो अपलोड करने से पहले इसके प्रचार के लिए ट्वीट और पोस्ट किए गए. अदालत ने कहा, ‘‘अब तक उक्त वीडियो को नौ लाख लोग देख चुके हैं और 13,500 से अधिक टिप्पणियां कर चुके हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि वीडियो का शीर्षक है ‘सद्‌गुरु एक्सपोज्ड: व्हॉट इज हेपनिंग इन वासुदेवज आश्रम.''

आदेश में कहा गया, ‘‘शीर्षक एक ‘क्लिकबेट' है और इस अदालत की प्रथम दृष्टया राय है कि उक्त शीर्षक केवल ध्यान आकर्षित करने के लिए दिया गया है.'' सिंह को भविष्य में इस तरह की सामग्री प्रकाशित करने से रोकते हुए अदालत ने सोशल मीडिया मंच को अपमानजनक वीडियो को हटाने का आदेश दिया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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