दिल्ली सरकार ने शिक्षा विभाग के एक निदेशक स्तर के अधिकारी को निलंबित करने का आदेश दिया. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने शिक्षा विभाग के एक निदेशक स्तर के अधिकारी को निलंबित करने का आदेश दिया है. दरअसल, अधिकारी पर यह गाज मिराम्बिका फ्री प्रोग्रेस स्कूल के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में कथित रूप से गलत तथ्यों वाला हलफनामा दायर करने के कारण की गई है.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हलफनामा दायर करने के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सर्तकता जांच का भी आदेश दिया. इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने पुराना हलफनामा वापस लेने और नया हलफनामा दायर करने का भी आदेश दिया है.
एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि शिक्षा विभाग के निदेशक ने हलफनामे में बताया है कि स्कूल को 1988 में मान्यता दी गई थी, जबकि वास्तव में स्कूल को 1989 में मान्यता दी गई. यह अंतर इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मिराम्बिका स्कूल साल 1988 के दिसंबर महीने में अपने स्थान अरबिंदो आश्रम से लाजपत नगर स्थित आश्रम में चला गया था.
यह मामला 2015 का है, जब अभिभावकों के एक समूह ने अदालत से संपर्क किया.. क्योंकि मिराम्बिका ने अपने यहां पढ़ रहे बच्चों को इस परिसर से हटाकर श्री अरबिंदो छात्रावास में स्थानांतरित कर दिया था.
स्कूल प्रबंधन का इस बारे में कहना था कि यह स्थानांतरण इसलिए हुआ, क्योंकि स्कूल का भवन जिस जगह बना था, वास्तव में वह श्री अरबिंदो एजुकेशन सोसाइटी को एक कॉलेज खोलने के लिए पट्टे पर दी गई थी. शिक्षा निदेशालय को उस परिसर की जांच करने के लिए कहा गया, जहां छात्रों को स्थानांतरित किया गया था. इसके साथ ही निदेशालय को इस मामले में विचार रखने को भी कहा गया था. (इनपुट भाषा से भी)
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हलफनामा दायर करने के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सर्तकता जांच का भी आदेश दिया. इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने पुराना हलफनामा वापस लेने और नया हलफनामा दायर करने का भी आदेश दिया है.
एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि शिक्षा विभाग के निदेशक ने हलफनामे में बताया है कि स्कूल को 1988 में मान्यता दी गई थी, जबकि वास्तव में स्कूल को 1989 में मान्यता दी गई. यह अंतर इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मिराम्बिका स्कूल साल 1988 के दिसंबर महीने में अपने स्थान अरबिंदो आश्रम से लाजपत नगर स्थित आश्रम में चला गया था.
यह मामला 2015 का है, जब अभिभावकों के एक समूह ने अदालत से संपर्क किया.. क्योंकि मिराम्बिका ने अपने यहां पढ़ रहे बच्चों को इस परिसर से हटाकर श्री अरबिंदो छात्रावास में स्थानांतरित कर दिया था.
स्कूल प्रबंधन का इस बारे में कहना था कि यह स्थानांतरण इसलिए हुआ, क्योंकि स्कूल का भवन जिस जगह बना था, वास्तव में वह श्री अरबिंदो एजुकेशन सोसाइटी को एक कॉलेज खोलने के लिए पट्टे पर दी गई थी. शिक्षा निदेशालय को उस परिसर की जांच करने के लिए कहा गया, जहां छात्रों को स्थानांतरित किया गया था. इसके साथ ही निदेशालय को इस मामले में विचार रखने को भी कहा गया था. (इनपुट भाषा से भी)
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