दिल्ली सरकार ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों (खासतौर से होम आइसोलेशन वालेनाले) के प्रबंधन के लिए नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किए हैं. जिसके अनुसार जो व्यक्ति RT-PCR टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाएंगे उनको डिस्ट्रिक्ट सर्विलेंस ऑफिसर की टीम फोन करेगी और उनकी बीमारी की श्रेणी का आंकलन करेगी. अगर मरीज में हल्के लक्षण हैं या लक्षण नहीं है. तो उसको कोविड-19 सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा और यह आंकलन किया जाएगा कि व्यक्ति का घर होम आइसोलेशन के लिए ठीक है या नहीं. जांच के दौरान अगर डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस की टीम घर का भी दौरा करेगी, यदि घर में मरीज के लिए अलग कमरा और अलग टॉयलेट है या नहीं. होम आइसोलेशन वाले मरीज को एक फ़ोन नंबर दिया जाएगा और साथ में एक कैट्स एंबुलेंस की डिटेल भी दी जाएंगी. ताकि अगर मरीज को जरूरत पड़े तो वह अस्पताल शिफ्ट किया जा सके. इसके अलावा SOP में कई बिंदु हैं जिनका पालन करना जरूरी है.
रैपिड टेस्ट
इस टेस्ट में नतीजा आधे घंटे के भीतर आ जाता है. ऐसे टेस्ट कराने वाले जो भी व्यक्ति पॉजिटिव आएंगे उनका वहीं पर मेडिकल ऑफिसर आकलन करेंगे और देखेंगे कि उनकी बीमारी कितनी गंभीर है. ऐसे टेस्ट में मेडिकल ऑफिसर का मरीज़ का आंकलन करना बिल्कुल वैसा ही माना जाएगा जैसा कोविड केअर सेंटर में माना जाता है. अगर मरीज के घर में 2 कमरे हैं और मरीज के लिए अलग से टॉयलेट है, मरीज को कोई पुरानी गंभीर बीमारी नहीं है तो मरीज को होम आइसोलेशन में रहने दिया जा सकता है. टेस्टिंग सेंटर पर मेडिकल ऑफिसर ऐसे मरीज को पल्स ऑक्सीमीटर देगा और उसको इस्तेमाल करना सिखाएगा. मरीज को ओम आइसोलेशन के बारे में जानकारी देगा.
फॉलो-अप
फॉलो-अप के तौर पर आउट सोर्स की गई कंपनी/ हेल्थ सेंटर से लिंक टीम/ मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज को अगले 9 दिनों तक फोन करेंगे. होम आइसोलेशन में रहने वाले सभी मरीजों को 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जाएगा.
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग
कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए एक डेडीकेटेड टीम दी जाएगी. यह टीम जानकारी इकट्ठा करेगी कि मरीज के लक्षण शुरू होने के साथ कौन-कौन लोग उसके संपर्क में थे. मरीज से पूछा जाएगा कि पिछले 7 से 10 दिनों में ऐसे कौन से लोग आपके संपर्क में आए हैं जिनसे आपको संक्रमण हुआ होगा.
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