दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि दिल्ली सरकार के जितने भी विभाग, बोर्ड, एजेंसी, कारपोरेशन आदि में जितने भी मज़दूर, सफ़ाई कर्मचारी, या दूसरे ठेके पर काम करने वाले लोग हैं उनको सरकार 4 अगस्त से पहले वाले रेट पर मजदूरी/तनख्वाह देगी. 4 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार का न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का नोटिफिकेशन रद्द कर दिया था जिसके बाद सरकार के अलग-अलग विभागों ने मजदूरों की तनख्वाह कम करके देनी शुरू की. कुछ जगहों पर तो पुरानी तनख्वाह जो ज्यादा दी गई थी वह काट कर भी तनख्वाह दी गई थी.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, 'हमने तय किया है कि 4 अगस्त से पहले के ठेके के कर्मियों को उसी रेट पर मजदूरी मिलेगी. किसी की तनख्वाह नहीं काटी जाएगी. मुख्य सचिव को जिम्मेदारी दी गयी है कि अक्टूबर तक सैलरी पूरी मिल जाए, पुराना भी बैलेंस भी मिल जाए.'
क्या है मामला?
अगस्त 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के मार्च 2017 के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था जिसमें दिल्ली में अकुशल मज़दूर की न्यूनतम मजदूरी 9724 रुपये से बढ़ाकर 13,350 रुपये, अर्धकुशल की 10,764 से बढ़ाकर 14,698 और कुशल कामगार की न्यूनतम मजदूरी 11,830 रुपये से बढ़ाकर 16,182 रुपये प्रति माह करने का फ़ैसला किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के इस फैसले को संविधान के विरुद्ध बताया था. यही नहीं कोर्ट ने न्यूनतम मजदूरी की सिफारिश देने के लिए बनाये गए एडवाइजरी पैनल के नोटिफिकेशन को भी प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध और बिना पर्याप्त दस्तावेज़ के बताते हुए रद्द कर दिया था. जिसके बाद दिल्ली सरकार ने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और मामला वहां लंबित है. यानी अब दिल्ली सरकार में जो भी कुशल/अर्ध कुशल/अकुशल मज़दूर/कर्मचारी काम कर रहे हैं उनकी तनख्वाह बढ़ेगी.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, 'हमने तय किया है कि 4 अगस्त से पहले के ठेके के कर्मियों को उसी रेट पर मजदूरी मिलेगी. किसी की तनख्वाह नहीं काटी जाएगी. मुख्य सचिव को जिम्मेदारी दी गयी है कि अक्टूबर तक सैलरी पूरी मिल जाए, पुराना भी बैलेंस भी मिल जाए.'
क्या है मामला?
अगस्त 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के मार्च 2017 के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था जिसमें दिल्ली में अकुशल मज़दूर की न्यूनतम मजदूरी 9724 रुपये से बढ़ाकर 13,350 रुपये, अर्धकुशल की 10,764 से बढ़ाकर 14,698 और कुशल कामगार की न्यूनतम मजदूरी 11,830 रुपये से बढ़ाकर 16,182 रुपये प्रति माह करने का फ़ैसला किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के इस फैसले को संविधान के विरुद्ध बताया था. यही नहीं कोर्ट ने न्यूनतम मजदूरी की सिफारिश देने के लिए बनाये गए एडवाइजरी पैनल के नोटिफिकेशन को भी प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध और बिना पर्याप्त दस्तावेज़ के बताते हुए रद्द कर दिया था. जिसके बाद दिल्ली सरकार ने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और मामला वहां लंबित है. यानी अब दिल्ली सरकार में जो भी कुशल/अर्ध कुशल/अकुशल मज़दूर/कर्मचारी काम कर रहे हैं उनकी तनख्वाह बढ़ेगी.
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