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दिल्‍ली विधानसभा चुनाव: सीएम के चेहरे को लेकर क्‍या सोचते हैं युवा?

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीटीवी की टीम ने दिल्‍ली के हंसराज कॉलेज में छात्रों के साथ बातचीत की और यह जाना कि युवा मतदाता क्‍या सोचता है.

नई दिल्‍ली :

दिल्‍ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Elections) को लेकर राजनीतिक दलों के अपने-अपने वादे हैं, उन वादों के पीछे उम्‍मीद है वोटर को लुभाने की और उसका वोट पाने की. चुनावी रण सामने है और हर पार्टी इसमें जुटी है. हालांकि यह उपक्रम जिसके लिए किया जा रहा है आखिर वो वोटर क्‍या सोचता है? खासतौर पर युवा मतदाताओं के लिए इन चुनावों के क्‍या मायने हैं, यह जानने के लिए एनडीटीवी की टीम दिल्‍ली के हंसराज कॉलेज पहुंची, जहां पर छात्रों ने राजनीतिक दलों को लेकर अपनी बात रखी. 

शिक्षा और स्‍कूलों के दावे पर उठाए सवाल

हंसराज कॉलेज में जुटे छात्रों में से एक ने आम आदमी पार्टी के बेहतर शिक्षा और शानदार स्‍कूलों के दावे पर सवाल उठाया और कहा कि आम आदमी पार्टी ने सिर्फ शिक्षा के लिए इमारतें बनवाने का काम किया है. उन्‍होंने सवाल किया कि क्‍या वहां पर शिक्षक क्‍वालिटी एज्‍युकेशन दे पा रहा है.

इसके साथ ही एक छात्र ने आम आदमी पार्टी के शिक्षा के स्‍तर को बेहतर बनाने के दावे पर कहा कि दसवीं के छात्रों को सामान्‍य जोड़ना-घटाना तक नहीं आता है. उन्‍होंने सवाल किया कि यदि परिणाम अच्‍छे हुए हैं तो वो किस आधार पर हुए हैं. 

वहीं एक अन्‍य छात्र ने उदाहरण के जरिये बताया कि कैसे दिल्‍ली के सरकारी विभागों में समन्‍वय नहीं है. साथ ही कहा कि हमें समय पर पानी नहीं मिलता है जो मिलता भी है वो बेहद गंदा होता है. 

यमुना के प्रदूषण को लेकर क्‍या कहा?

हालांकि एक छात्र ने कहा कि पानी की दिक्‍कत काफी वक्‍त से है, लेकिन यह चुनावी वक्‍त में उजागर क्‍यों हो रही है. साथ ही कहा कि यमुना गंदी है यह सभी को पता है लेकिन एनजीटी की रिपोर्ट है कि गंगा भी गंदी है, लेकिन उसकी बात नहीं की जा रही है. उन्‍होंने कहा कि राजनीति से अलग करके देखें तो यह एक बड़ा मुद्दा है, जिससे निपटना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. 

मुख्‍यमंत्री के चेहरे पर यह दिया जवाब

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो मुख्‍यमंत्री कौन होगा, यह सभी को पता है. हालांकि भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक अपने मुख्‍यमंत्री के चेहरे का खुलासा नहीं किया है. एक छात्र ने कहा कि मुख्‍यमंत्री के चेहरे से फर्क पड़ता है. लोग मुख्यमंत्री के चेहरे को जानते हैं तो वे यह तय कर पाते हैं कि वह कितना काम कर पाएंगे. AAP ने अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने यह नहीं किया है.

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