दिल्ली के सीएम और डिप्टी सीएम
नई दिल्ली:
एक बार फिर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर एक आदेश मानने से साफ इनकार कर दिया है। केंद्र की ओर से राज्य सरकार द्वारा दो दानिक्स अधिकारियों का निलंबन को रद्द करने के बाद इस संबंध में एक आदेश दिल्ली सरकार को दिया गया था।
केंद्र की चिट्ठी की जवाब में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार के इस आदेश को मानने से राज्य के सभी अधिकारियों को गलत संदेश जाएगा। सिसोदिया ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केवल एक चिट्ठी भेजी कोई राष्ट्रपति का आदेश नहीं है।
उपमुख्यमंत्री का तर्क है कि गृह मंत्रालय की बात मानने का मतलब है दिल्ली सरकार के अधिकार में बड़ी कटौती जिससे अफसरों में अनुशासनहीनता आएगी और सरकार के होने या ना होने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने अपने दो अधिकारियों को कैबिनेट के एक पास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने का आदेश दिया था जिसे दोनों अधिकारियों ने करने से मना कर दिया। दोनों अधिकारियों का कहना था कि जब तक इस प्रस्ताव पर नियमानुसार एलजी से स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक वे हस्ताक्षर नहीं करेंगे। दोनों के दिल्ली सरकार के हस्ताक्षर करने के आदेश को मानने से इनकार करने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया था।
ये दोनों ही अधिकारी दानिक्स कैडर के थे और इस निलंबन के विरोध में अधिकारियों के संघ ने एक बैठक की और केंद्र सरकार से निलंबन को निरस्त करने की मांग की। संघ का कहना था कि निलंबन अवैध है और केंद्र इस अवैध घोषित करे।
सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में अधिकारियों के निलंबन की परिस्थितियों का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आदेश में दिल्ली सरकार को यह आदेश दिया था कि वह जल्द से जल्द पब्लिक प्रोसिक्यूटर के वेतन में वृद्धि पर फैसला करे। उन्होंने बताया कि इस संबंध एलजी से दो बार बात हुई लेकिन उन्होंने (एलजी) एक बार भी पब्लिक प्रोसिक्यूटर के वेतन वृद्धि का विरोध नहीं किया। उन्होंने दोनों ही बार दिल्ली कैबिनेट के ऐसे निर्णय लेने के अधिकार पर सवाल उठाया। यह सवाल अदालत में लंबित एक मामले को लेकर उठाया गया था।
सिसोदिया ने लिखा कि ट्रानजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल 14(2) कहता है कि जब कोई प्रस्ताव कैबिनेट पारित करती है और उसे एलजी को सूचित कर दिया जाता है तब संबंधित विभाग का मंत्री उस निर्णय के कार्यान्वयन के लिए उचित कदम उठा सकता है। इसी नियम के तहत दिल्ली सरकार के गृहमंत्री ने दोनों विशेष सचिवों को कैबिनेट के निर्णय के संबंध में आदेश जारी करने को कहा था। दोनों ही सचिवों ने आदेश मानने से इनकार कर दिया और गृहमंत्री के पास उनके निलंबन करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा कि इस मामले में गृहमंत्रालय को दिल्ली सरकार का आदेश निरस्त करने में केवल एक दिन लगा जबकि रंगे हाथ पकड़े गए अधिकारी का निलंबन आदेश देने में 15 दिन लग गए थे।
केंद्र की चिट्ठी की जवाब में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार के इस आदेश को मानने से राज्य के सभी अधिकारियों को गलत संदेश जाएगा। सिसोदिया ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केवल एक चिट्ठी भेजी कोई राष्ट्रपति का आदेश नहीं है।
उपमुख्यमंत्री का तर्क है कि गृह मंत्रालय की बात मानने का मतलब है दिल्ली सरकार के अधिकार में बड़ी कटौती जिससे अफसरों में अनुशासनहीनता आएगी और सरकार के होने या ना होने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने अपने दो अधिकारियों को कैबिनेट के एक पास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने का आदेश दिया था जिसे दोनों अधिकारियों ने करने से मना कर दिया। दोनों अधिकारियों का कहना था कि जब तक इस प्रस्ताव पर नियमानुसार एलजी से स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक वे हस्ताक्षर नहीं करेंगे। दोनों के दिल्ली सरकार के हस्ताक्षर करने के आदेश को मानने से इनकार करने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया था।
ये दोनों ही अधिकारी दानिक्स कैडर के थे और इस निलंबन के विरोध में अधिकारियों के संघ ने एक बैठक की और केंद्र सरकार से निलंबन को निरस्त करने की मांग की। संघ का कहना था कि निलंबन अवैध है और केंद्र इस अवैध घोषित करे।
सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में अधिकारियों के निलंबन की परिस्थितियों का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आदेश में दिल्ली सरकार को यह आदेश दिया था कि वह जल्द से जल्द पब्लिक प्रोसिक्यूटर के वेतन में वृद्धि पर फैसला करे। उन्होंने बताया कि इस संबंध एलजी से दो बार बात हुई लेकिन उन्होंने (एलजी) एक बार भी पब्लिक प्रोसिक्यूटर के वेतन वृद्धि का विरोध नहीं किया। उन्होंने दोनों ही बार दिल्ली कैबिनेट के ऐसे निर्णय लेने के अधिकार पर सवाल उठाया। यह सवाल अदालत में लंबित एक मामले को लेकर उठाया गया था।
सिसोदिया ने लिखा कि ट्रानजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल 14(2) कहता है कि जब कोई प्रस्ताव कैबिनेट पारित करती है और उसे एलजी को सूचित कर दिया जाता है तब संबंधित विभाग का मंत्री उस निर्णय के कार्यान्वयन के लिए उचित कदम उठा सकता है। इसी नियम के तहत दिल्ली सरकार के गृहमंत्री ने दोनों विशेष सचिवों को कैबिनेट के निर्णय के संबंध में आदेश जारी करने को कहा था। दोनों ही सचिवों ने आदेश मानने से इनकार कर दिया और गृहमंत्री के पास उनके निलंबन करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा कि इस मामले में गृहमंत्रालय को दिल्ली सरकार का आदेश निरस्त करने में केवल एक दिन लगा जबकि रंगे हाथ पकड़े गए अधिकारी का निलंबन आदेश देने में 15 दिन लग गए थे।
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