2014 में मक़सूद दिल्ली के चिड़ियाघर में बाघ का शिकार हो गया था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार से जानना चाहा है कि क्या दिल्ली के चिड़ियाघर में सफेद बाघ के हमले का शिकार हुए युवक की विधवा की मुआवज़े की राशि बढ़ाई जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने दिल्ली सरकार से यह सवाल उस समय पूछा जब 2014 में हमले का शिकार हुए युवक की पत्नी के वकील ने कोर्ट को बताया कि उसे सिर्फ एक लाख रूपए ही दिए गए हैं।
21 मार्च तक जवाब दिया जाए
इस महिला के वकील ने यह भी दलील दी कि जंतर मंतर पर पिछले साल आम आदमी पार्टी की रैली में कथित रूप से फांसी पर लटकने वाले व्यक्ति के परिवार को दस लाख रूपए का मुआवजा दिया गया था। वकील ने कहा कि ऐसे भी मामले हैं जिनमें बीस लाख से अधिक की रकम का भुगतान किया गया है। पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि इस संबंध में आवश्यक निर्देश प्राप्त करके 21 मार्च से पहले उसे सूचित किया जाए। इस मामले में सफेद बाघ के हमले में मारे गये युवक की विधवा 50 लाख रूपए मुआवजा चाहती है।
इससे पहले 18 दिसंबर, 2014 को दिल्ली पुलिस ने अदालत से अनुरोध किया था कि महिला की याचिका खारिज की जाए क्योंकि इसकी जांच लंबित है। महिला ने दावा किया था कि सरकार को अपनी लापरवाही और सुरक्षा खामियों के लिये उसे मुआवजा देना चाहिए क्योंकि उसकी वजह से ही 23 सितंबर, 2014 को उसके 22 साल के शौहर मकसूद को सफेद बाघ ने मार डाला था। याचिका में यह भी कहा गया है कि मृतक अपने परिवार का एकमात्र आजीविका अर्जित करने वाला सदस्य था। इस हादसे के समय मृतक की पत्नी सात महीने की गर्भवती थी और उसकी 43 साल मां भी है। मकसूद का पिता उसे और परिवार को 15 साल पहले छोड़ कर चला गया था।
21 मार्च तक जवाब दिया जाए
इस महिला के वकील ने यह भी दलील दी कि जंतर मंतर पर पिछले साल आम आदमी पार्टी की रैली में कथित रूप से फांसी पर लटकने वाले व्यक्ति के परिवार को दस लाख रूपए का मुआवजा दिया गया था। वकील ने कहा कि ऐसे भी मामले हैं जिनमें बीस लाख से अधिक की रकम का भुगतान किया गया है। पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि इस संबंध में आवश्यक निर्देश प्राप्त करके 21 मार्च से पहले उसे सूचित किया जाए। इस मामले में सफेद बाघ के हमले में मारे गये युवक की विधवा 50 लाख रूपए मुआवजा चाहती है।
इससे पहले 18 दिसंबर, 2014 को दिल्ली पुलिस ने अदालत से अनुरोध किया था कि महिला की याचिका खारिज की जाए क्योंकि इसकी जांच लंबित है। महिला ने दावा किया था कि सरकार को अपनी लापरवाही और सुरक्षा खामियों के लिये उसे मुआवजा देना चाहिए क्योंकि उसकी वजह से ही 23 सितंबर, 2014 को उसके 22 साल के शौहर मकसूद को सफेद बाघ ने मार डाला था। याचिका में यह भी कहा गया है कि मृतक अपने परिवार का एकमात्र आजीविका अर्जित करने वाला सदस्य था। इस हादसे के समय मृतक की पत्नी सात महीने की गर्भवती थी और उसकी 43 साल मां भी है। मकसूद का पिता उसे और परिवार को 15 साल पहले छोड़ कर चला गया था।
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