अपोलो की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
इन दिनों दिल्ली के एक अस्पताल के डॉक्टर अनोखे तरीके से बच्ची का इलाज करने को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. दरअसल, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बच्चे के इलाज के दौरान मिले लक्षणों की जांच करने के बाद बच्चे की बहन का भी समय रहते इलाज किया है. अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि सात साल का किम सोराय जब डेढ़ साल का था तब उसे लीवर सिरोसिस की बीमारी हुई थी. तभी उसका लीवर प्रतिरोपण करना पड़ा था. लेकिन प्रतिरोपण संबंधी कुछ गंभीर जटिलताओं की वजह से कुछ साल बाद किम किडनी के दुर्लभ रोग का शिकार हो गया था. इसके बाद उसकी किडनी का भी प्रतिरोपण करना पड़ा.
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डॉक्टरों के मुताबिक अब उसके किडनी और लीवर दोनों अच्छी तरह काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि किम के इलाज के कुछ साल बाद उसकी छोटी बहन एंजल में भी लीवर संबंधी बीमारी के लक्षण दिखाई दिए. किम के इलाज की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए उसकी बहन में गंभीर रोग का पता चला और उसका उपचार सुगम तरीके से किया गया. पिछले साल एंजल की मां अपनी बेटी की आंखों में बढ़ते पीलेपन को देखने के बाद उसे अपोलो अस्पताल लेकर आईं. इसके बाद ही बच्ची को अन्य बीमारी होने का भी पता चला.
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अपोलो के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर अनुपम सिब्बल ने बताया कि किम के मामले को ध्यान में रखते हुए उसकी बहन की तुरंत जांच की गई. उसके भी बाइल डक्ट में रुकावट थी जिसके कारण उसे भी लीवर की गंभीर बीमारी हुई. उन्होंने बताया कि करीब एक महीने पहले 11 महीने की उम्र में बच्ची का लीवर प्रतिरोपण किया गया. वह अब स्वस्थ है.
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अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ नीरव गोयल के मुताबिक बच्ची बहुत छोटी थी और ऐसे मामलों में ट्रांसप्लांट बहुत कठिन होता है लेकिन इस मामले में कठिनाई को दूर कर लिया गया. (इनपुट भाषा से)
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डॉक्टरों के मुताबिक अब उसके किडनी और लीवर दोनों अच्छी तरह काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि किम के इलाज के कुछ साल बाद उसकी छोटी बहन एंजल में भी लीवर संबंधी बीमारी के लक्षण दिखाई दिए. किम के इलाज की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए उसकी बहन में गंभीर रोग का पता चला और उसका उपचार सुगम तरीके से किया गया. पिछले साल एंजल की मां अपनी बेटी की आंखों में बढ़ते पीलेपन को देखने के बाद उसे अपोलो अस्पताल लेकर आईं. इसके बाद ही बच्ची को अन्य बीमारी होने का भी पता चला.
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अपोलो के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर अनुपम सिब्बल ने बताया कि किम के मामले को ध्यान में रखते हुए उसकी बहन की तुरंत जांच की गई. उसके भी बाइल डक्ट में रुकावट थी जिसके कारण उसे भी लीवर की गंभीर बीमारी हुई. उन्होंने बताया कि करीब एक महीने पहले 11 महीने की उम्र में बच्ची का लीवर प्रतिरोपण किया गया. वह अब स्वस्थ है.
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अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ नीरव गोयल के मुताबिक बच्ची बहुत छोटी थी और ऐसे मामलों में ट्रांसप्लांट बहुत कठिन होता है लेकिन इस मामले में कठिनाई को दूर कर लिया गया. (इनपुट भाषा से)
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