Manish Sisodia In Battle Of Jangpura: जंगपुरा विधानसभा की सियासी जंग दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आने से दिलचस्प हो गई है. ये एक ऐसी सीट है, जिस पर बीजेपी आज तक जीत का परचम नहीं लहरा पाई है. क्या आम आदमी पार्टी के लिए सेफ मानी जा रही इस सीट पर बीजेपी चुनौती दे पाएगी? आपको जानकर हैरानी होगी कि जंगपुरा का नाम पहले अंग्रेज़ डिप्टी कलेक्टर के नाम पर यंग पुरा था, लेकिन बाद में जंगपुरा के नाम से ये मशहूर हुआ. जंगपुरा विधानसभा सीट पर इस बार आम आदमी पार्टी के निवर्तमान विधायक प्रवीण कुमार का टिकट काट कर मनीष सिसोदिया को लड़वाया जा रहा है. मनीष जानते हैं कि जंगपुरा विधानसभा में जीत का रास्ता ITO में अन्ना कॉलोनी की संकरी गलियों से गुज़रता है. लिहाज़ा झुग्गी झोपड़ी के हर घर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी ने अब मनीष सिसोदिया को यहां से चुनावी मैदान में उतार कर मुक़ाबले को हाईप्रोफ़ाइल बना दिया है. मनीष सिसोदिया कहते हैं, "मैं यहाँ के लिए बाहरी नहीं हूं, मैं स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए परिवार का हूं."
आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया को टक्कर देने के लिए बीजेपी के तरविंदर मारवाह चुनावी मैदान में हैं. निज़ामुद्दीन इलाक़े के अपने घर में समर्थकों से घिरे तरविंदर मारवाह कांग्रेस के टिकट पर जंगपुरा से तीन बार के विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार वो अपने बेटे के साथ बीजेपी में शामिल में हो गए. बेटा अब बीजेपी का पार्षद है और पिता तरविंदर मारवाह विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार.
तरविंदर मारवाह कहते हैं, "मनीष सिसोदिया को यहां की गलियां तक नहीं पता है. पंजाब के लोग आकर यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं. उसने इतना काम किया होता तो पटपड़गंज से भागना नहीं पड़ता…."
जंगपुरा विधानसभा की सियासी जंग के तीसरे किरदार फरहाद सूरी हैं. फरहाद सूरी कांग्रेस के पार्षद रहे हैं और उनकी मां ताजदार बाबर कांग्रेस से जंगपुरा की विधायक थीं. अब फरहाद सूरी खोई हुई राजनीतिक विरासत को पाने के लिए गली-गली चुनाव प्रचार कर रहे हैं. उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि सालभर पहले तक लोकसभा चुनाव में वो जिस आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए लोगों से अपील कर रहे थे, अब वही उनकी बड़ी विरोधी बनकर उभरी है.
फरहाद सूरी कहते हैं, "मेरा मुक़ाबला आम आदमी पार्टी से नहीं है, बल्कि यहां बीजेपी से लड़ाई है."
जंगपुरा विधानसभा सीट पर कुल 1 लाख 56 हज़ार मतदाता हैं. यहां के जातीय समीकरण देखें तो पता चलता है कि ये आम आदमी पार्टी के लिए ये सबसे सेफ सीट क्यों मानी जाती है. यहां 16 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. 11 फीसदी सिख मतदाता हैं. 4 फ़ीसदी पूर्वांचल मतदाता हैं. यही वजह है कि जंगपुरा सीट पर हमेशा मुस्लिम और सिख उम्मीदवारों का सियासी दबदबा रहा है. इस बार बीजेपी ने सिख उम्मीदवार को खड़ा करके मुक़ाबला दिलचस्प बना दिया है.
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