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दिल्ली विश्वविद्यालय की 1270वीं कार्यकारी परिषद के महत्वपूर्ण निर्णय: जानें सब कुछ

Delhi University important decisions : दिल्ली विश्वविद्यालयों की कार्यकारी परिषद ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. जानें कौन से फैसले करेंगे छात्रों को प्रभावित...

दिल्ली विश्वविद्यालय की 1270वीं कार्यकारी परिषद के महत्वपूर्ण निर्णय: जानें सब कुछ
Delhi University important decisions : दिल्ली विश्वविद्यालय में कई अहम फैसले लिए गए हैं.

दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) की 1270 वीं कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. इस बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय के वित्तीय योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी. इस बैठक के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी इस प्रकार है :

वित्तीय सहायता योजना (एफएसएस)
इस योजना के तहत 1669 विद्यार्थियों को एक करोड़, 20 लाख रुपए से अधिक की वित्तीय सहायता दी गई है. यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए शुल्क माफी के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करती है.

दिल्ली विश्वविद्यालय की उपलब्धियां

  • कुलपति ने पेरिस ओलंपिक में डीयू के 9 विद्यार्थियों के भाग लेने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है. उन्होंने बताया कि इनमें 70% महिला खिलाड़ी हैं.
  • दिल्ली विश्वविद्यालय ने क्यूएस रैंकिंग-2025 में 328वीं स्थान प्राप्त किया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर है.
  • विश्वविद्यालय ने कंप्यूटर विज्ञान विभाग में 30 सीटों के साथ एम.टेक. कंप्यूटर विज्ञान प्रोग्राम भी शुरू किया है.
  • विश्वविद्यालय ने रूसी भाषा में बीए (ऑनर्स) की शुरूआत की है.
  • कुछ मेडिकल कोर्स भी आगामी शैक्षणिक सत्र से शुरू किए जा रहे हैं.

वित्त समिति के प्रस्ताव

डीयू के वित्त समिति ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए HEFA (उच्च शिक्षा वित्तीय संस्थानों के लिए वित्त पोषण) से वित्त प्राप्त करने के लिए प्रस्तावों को स्वीकृति दी है. इन परियोजनाओं में शामिल हैं :-

  • सूरजमल विहार में नए शैक्षणिक भवन का निर्माण : इस परियोजना के लिए 373 करोड़ रुपये का वित्त प्राप्त किया गया है.
  • रोशनपुरा नजफगढ़ में कॉलेज/अकादमिक भवन का निर्माण : इस परियोजना के लिए 140.10 करोड़ रुपये का वित्त प्राप्त किया गया है.
  • द्वारका में खाली जमीन पर नए शैक्षणिक भवन का निर्माण : इस परियोजना के लिए 107.18 करोड़ रुपये का वित्त प्राप्त किया गया है.
  • इसके साथ ही, डीयू ने समर्थ ई-गवर्नेंस के माध्यम से भारत में 4000 से अधिक उच्च शिक्षा संस्थानों को सक्षम बनाया है, जिनमें केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, IIT, IIM, NIT, IISER और अन्य महत्वपूर्ण संस्थान शामिल हैं. डीयू का लक्ष्य है कि मार्च 2025 तक 10,000 उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोड़ना.
  • पीजी (स्नातकोत्तर) एडमिशन के तीन दौर पूरे हो चुके हैं। पहले स्पॉट राउंड में लगभग 90% सीटें भर चुकी हैं. पांच वर्षीय एकीकृत लॉ प्रोग्रामों में 95 सीटें भरी गई हैं.
  • बीटेक में लगभग 200 उम्मीदवारों ने प्रवेश ले लिया है, चौथी सूची जारी होने वाली है.

ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा

ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा केंद्रीय कर्मियों के लिए 25 लाख रुपये हो गई है. भारत सरकार ने 1 जनवरी, 2024 से सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी है. इस निर्णय के अनुसार, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर महंगाई भत्ते की दर 50% तक पहुंचने पर सेवानिवृत्ति और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपये की गई है. यह नई सीमा 2024 के जनवरी 1 से प्रभावी होगी. यह वृद्धि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है, जो अब अधिक सेवानिवृत्ति और मृत्यु ग्रेच्युटी के लाभ का उपयोग कर सकते हैं.

विद्यार्थियों के लिए यह निर्णय

दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए उत्तीर्णता और पदोन्नति मानदंडों में संशोधन किया गया है. अब विद्यार्थियों को अगले वर्ष में पदोन्नति के लिए दोनों सेमेस्टर के कुल क्रेडिट में से कम से कम 28 क्रेडिट प्राप्त करने होंगे. इसमें खेल, पाठ्येतर गतिविधियों, एनसीसी, और एनएसएस आदि में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिनिधित्व करने वाले विद्यार्थियों को सक्षम प्राधिकारी (Authority) की पूर्व स्वीकृति के अधीन छूट दी जा सकती है. इसके अलावा, विद्यार्थियों को प्रत्येक सेमेस्टर में 22 क्रेडिट वाले सात पेपरों के साथ एक 4 क्रेडिट वाले कोर (डीएससी) पेपर भी चुनने का विकल्प होता है. इससे विद्यार्थियों को अधिकतम 26 क्रेडिट एक सेमेस्टर में और 52 क्रेडिट एक शैक्षणिक वर्ष में प्राप्त करने की अनुमति होती है।

नियमों में सुधार की मांग

दिल्ली विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए पदोन्नति के नियमों में सुधार की मांग हो रही है. विद्यार्थियों के पदोन्नति में आरक्षण के नियमों के अनुसार, वे प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर के 50% पेपरों को एक साथ पास करने के लिए योग्य होते हैं. इसका मतलब है कि विद्यार्थियों को सात पेपर पास करने होंगे ताकि वे पदोन्नति के लिए योग्य हों. हालांकि, सभी पेपरों के क्रेडिट समान नहीं होते हैं। प्रथम/द्वितीय सेमेस्टर के सात पेपरों में से तीन पेपर (AEC, SEC, VAC) में 2-2 क्रेडिट होते हैं जबकि चार पेपर (3 DSC और 1 GE) में 4-4 क्रेडिट होते हैं. विद्यार्थियों के अनुसार, वर्तमान प्रावधानों के तहत वे दोनों सेमेस्टर के 3 पेपर (AEC, SEC, VAC) और एक GE पेपर उत्तीर्ण करने पर अगले वर्ष में पदोन्नत हो सकते हैं. इसका मतलब है कि विद्यार्थियों को केवल 16 क्रेडिट मिलेंगे, जो कुल क्रेडिट का केवल 36% है, जबकि कुल पेपरों की संख्या का 50% है. इसके अलावा, सेमेस्टर पास करने और आगे की पदोन्नति के लिए न्यूनतम क्रेडिट प्राप्त करने के लिए कोर अकादमिक विषय लेने की कोई बाध्यता नहीं है. विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास को नुकसान हो रहा है.

UGCF 2022 के तहत, विद्यार्थियों को डिसिप्लिन स्पेसिफिक कोर्स (DSC) का अध्ययन करना अनिवार्य है, जो उनके विशेष डिसिप्लिन के कोर क्रेडिट पाठ्यक्रम हैं. इन कोर्सेज को उचित रूप से ग्रेड किया गया है और व्यवस्थित किया गया है. इसलिए विद्यार्थियों को अगले वर्ष में पदोन्नति के लिए दोनों सेमेस्टर के कुल क्रेडिट में से कम से कम 28 क्रेडिट प्राप्त करने होंगे.

फंड का नहीं हुआ दुरुपयोग : जांच रिपोर्ट

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की एक जांच कमेटी ने वित्तपोषित 12 महाविद्यालयों में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच की और धन के दुरुपयोग की किसी भी संभावना से इनकार किया है. साथ ही कहा है कि विश्वविद्यालय के साथ इन कॉलेज की संबद्धता जारी रखी जा सकती है. डीयू जांच कमेटी ने 27 जुलाई को डीयू की कार्यकारी परिषद की बैठक में रिपोर्ट के निष्कर्ष पेश किए. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नियमों के अनुसार, इन 12 कॉलेज की मान्यता रद्द नहीं की जा सकती और ये दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का अभिन्न अंग हैं. डीयू की जांच कमेटी ने यह भी दावा किया कि इन कॉलेजों में कोई वित्तीय अनियमितता नहीं है. इस रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली सरकार को ये कॉलेज डीयू से असंबद्ध करने का कोई भी प्रयास नहीं करना चाहिए. दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने पिछले साल दिसंबर में केंद्र को एक पत्र लिखकर इन कॉलेज पर ‘‘सैकड़ों करोड़ रुपये की अनियमितताओं और प्रक्रियात्मक खामियों'' में लिप्त होने का आरोप लगाया था, जिसके बाद कार्यकारी समिति के सदस्यों वाले इस पैनल का गठन किया गया था.

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