दिल्ली सरकार ने घोषणा के मुताबिक एक अप्रैल तक सभी सरकारी और एमसीडी के स्कूलों में मुफ्त पुस्तकें वितरित नहीं की हैं.
नई दिल्ली:
नया सत्र शुरू हो गया है लेकिन अब तक दिल्ली सरकार और एमसीडी की स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को मुफ्त मिलने वाली किताबें अब तक मुहैया नहीं कराई गई हैं. शिक्षा के अधिकार के कानून के तहत राज्य सरकार को 8वीं कक्षा तक के बच्चों को मुफ्त किताबें देनी होती हैं. किताबों के बिना गरीब बच्चे खाली बस्ता लेकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. लगभग 16 लाख बच्चे दिल्ली सरकार और एमसीडी की स्कूलों में पढ़ते हैं.
सात साल की ट्विंकल अपने पापा के साथ स्कूल जाती हुई मिलीं. ट्विंकल दिल्ली सरकार के सर्वोदय विद्यालय में दूसरी कक्षा पास करके तीसरी कक्षा में गई हैं लेकिन ट्विंकल के बस्ते में पुरानी कक्षा की ही किताबें हैं क्योंकि अब तक उन्हें सरकार से मुफ्त किताबें नहीं मिली हैं. शादियों में खाना बनाने वाले ट्विंकल के पिता विष्णु के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपनी बेटी के लिए किताबें खरीद सकें.
जानकारों का कहना है कि दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों ही हाईकोर्ट में बच्चों को पहली अप्रैल को किताबें देने की बात कह चुके हैं. वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल का कहना है कि "हाईकोर्ट दिल्ली सरकार और तीनों निगम यह बात बोल चुके हैं कि अप्रैल की पहली तारीख को वे बच्चों को किताबें दे देंगे पर ऐसा नहीं हुआ."
दिल्ली सरकार के इस साल के बजट में कुल बजट का 24% हिस्सा शिक्षा के लिए है जो कि पूरे बजट में सबसे ज्यादा है. दिल्ली सरकार का कहना है कि "हम मान रहे हैं कि थोड़ी देर हो रही है लेकिन हम अपने बड़े दो ज़ोन उत्तर और उत्तर पूर्व में किताबें दे चुके हैं और 15 अप्रैल तक सभी स्कूलों में किताबे दे दी जाएंगी."
एमसीडी के स्कूलों की भी हालात ऐसी ही है. दिल्ली सरकार लगातार रेडियो और अख़बारों के माध्यम से लोगों से कह रही है कि वह अपने बच्चों को दिल्ली सरकार के स्कूलों में भेजें लेकिन जब किताबें न होने जैसे मामले सामने आते हैं तो कहीं न कहीं राज्य सरकार की पूरी मुहिम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है.
सात साल की ट्विंकल अपने पापा के साथ स्कूल जाती हुई मिलीं. ट्विंकल दिल्ली सरकार के सर्वोदय विद्यालय में दूसरी कक्षा पास करके तीसरी कक्षा में गई हैं लेकिन ट्विंकल के बस्ते में पुरानी कक्षा की ही किताबें हैं क्योंकि अब तक उन्हें सरकार से मुफ्त किताबें नहीं मिली हैं. शादियों में खाना बनाने वाले ट्विंकल के पिता विष्णु के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपनी बेटी के लिए किताबें खरीद सकें.
जानकारों का कहना है कि दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों ही हाईकोर्ट में बच्चों को पहली अप्रैल को किताबें देने की बात कह चुके हैं. वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल का कहना है कि "हाईकोर्ट दिल्ली सरकार और तीनों निगम यह बात बोल चुके हैं कि अप्रैल की पहली तारीख को वे बच्चों को किताबें दे देंगे पर ऐसा नहीं हुआ."
दिल्ली सरकार के इस साल के बजट में कुल बजट का 24% हिस्सा शिक्षा के लिए है जो कि पूरे बजट में सबसे ज्यादा है. दिल्ली सरकार का कहना है कि "हम मान रहे हैं कि थोड़ी देर हो रही है लेकिन हम अपने बड़े दो ज़ोन उत्तर और उत्तर पूर्व में किताबें दे चुके हैं और 15 अप्रैल तक सभी स्कूलों में किताबे दे दी जाएंगी."
एमसीडी के स्कूलों की भी हालात ऐसी ही है. दिल्ली सरकार लगातार रेडियो और अख़बारों के माध्यम से लोगों से कह रही है कि वह अपने बच्चों को दिल्ली सरकार के स्कूलों में भेजें लेकिन जब किताबें न होने जैसे मामले सामने आते हैं तो कहीं न कहीं राज्य सरकार की पूरी मुहिम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है.
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