
- दिल्ली के सभी 498 पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे लगाए गए हैं.
- ये कैमरे 10-15 साल पुरानी गाड़ियों की पहचान करेंगे.
- EVL गाड़ियों को ईंधन देने पर पंप मालिकों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
- 1 जुलाई से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का उपयोग प्रतिबंधित है.
दिल्ली के सभी 498 पेट्रोल पंप को ANPR यानि ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकॉग्निशन से लैस कर दिया गया. ये कैमरे 10-15 साल डीजल और पेट्रोल गाड़ियों की पहचान करेंगे. फिर पेट्रोल पंप पर तैनात पुलिस या ट्रांसपोर्ट विभाग की टीमें इन गाड़ियों का चालान करेंगी या इन्हें सीधा जब्त कर लिया जाएगा. वहीं अगर किसी EVL (END OF Life) गाड़ी में ईंधन भरा गया तो पेट्रोल पंप मालिक के खिलाफ कार्रवाई होगी. इस मामले पर पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट निश्चल सिंघानिया ने कहा ये कैमरा यहां लगा दिए गए. लेकिन बहुत दूर लगे हैं. इसलिए सभी गाड़ियों के नंबर प्लेट नहीं पढ़ सकते हैं. तो इस गलती के कारण डीलर पर आप कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं. हालांकि हम सरकार के साथ है. हम इसे लागू करवाने की कोशिश करेंगे.
28 फीसदी प्रदूषण के लिए गाड़ियां ज़िम्मेदार
CAQM यानि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की माने तो दिल्ली में 28 फीसदी प्रदूषण के लिए गाड़ियां ज़िम्मेदार हैं और BS6 के मुकाबले BS4 इंजन करीब साढ़े पांच गुना ज़्यादा प्रदूषण फैलाती है. यही वजह है कि 1 जुलाई से EVL गाड़ियां यानि END OF Life गाड़ियों को जब्त करने के लिए ट्रैफिक पुलिस, MCD और ट्रांसपोर्ट विभाग महा अभियान चलाने जा रही है.
- ईंधन लेने पेट्रोल पंप पहुंचे या सार्वजनिक स्थानों पर खड़े पाए जाने वाले ऐसे वाहनों को एक जुलाई से जब्त कर लिया जाएगा, जिनकी समयसीमा समाप्त हो गई है.
- साथ ही ऐसे चार पहिया वाहन मालिकों पर 10,000 रुपये और दोपहिया वाहन मालिकों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
- दस साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है.
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा पूर्व में जारी निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहन चाहे किसी भी राज्य में पंजीकृत हों, उन्हें एक जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाएगा.
- जिन वाहनों की समयसीमा समाप्त हो चुकी है, उनका पता लगाने के लिए दिल्ली में करीब 498 ईंधन स्टेशनों पर ‘स्वचालित नंबर प्लेट पहचान' (एएनपीआर) कैमरे लगाए गए हैं.
सस्ते में बचे रहे गाड़ियां
इस अभियान के कारण दिल्ली में 10-15 साल पुरानी गाड़ियों के मालिक अभी से ही अपनी अपनी गाड़ियों को बेच रहे हैं. वरुण विज के पास 84 लाख की गाड़ी थी लेकिन 15 साल पूरा होने के कुछ दिन पहले ही महज ढाई लाख में बेच दी. वरुण विज ने कहा कि चालान का डर था. यही वजह थी कि 84 लाख की ख़रीदी और ढाई लाख की बेच दी. बहुत लोग इसी तरह से अपनी गाड़ियां बेच रहे हैं.
लेकिन इन सबके बीच ये सवाल जरूर उठाता है कि क्या अकेले दिल्ली की EVL गाड़ियों को ज़ब्त करने से क्या प्रदूषण उतना कम हो पाएगा. जब नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे शहरों में ये सिस्टम लागू नहीं है.
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