उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली महिला आयोग के अनुरोध पर जिलाधिकारी को द्वारका स्थित शेल्टर होम को नियंत्रण में लेने का आदेश दिया है. उन्होंने दिल्ली महिला आयोग से जांच करने और 15 दिन में रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सोमवार को उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के समक्ष द्वारका स्थित शेल्टर होम में दो नाबालिग लड़कियों के शोषण का मामला उठाया और उनसे इस मामले में शेल्टर होम का प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार संबंधित जिलाधिकारी को सौंपने का अनुरोध किया.
दिल्ली महिला आयोग द्वारा शेल्टर होम के ऑडिट के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति ने शेल्टर होम का दौरा किया था. समिति वहां यह देखकर बहुत दंग रह गई थी कि बच्चियों को दंड के तौर पर उनके गुप्तांगों में मिर्च डाली जाती थी. कमरे साफ न करने, स्टाफ की बात न मानने पर बच्चियों को और भी दूसरी सजाएं जैसे स्केल से पिटाई करना आदि, दी जाती थीं. लड़कियों से शेल्टर होम में सारे घरेलू काम करवाए जाते थे. यह सब कई महीनों से चल रहा था.
आयोग द्वारा इस मामले को उप मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया गया. उन्होंने तुरंत महिला एवं बाल विकास विभाग को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए. इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. जानकारी मिली है कि स्टाफ के कुछ सदस्यों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आयोग ने सम्बंधित बाल कल्याण समिति से अनुरोध किया है कि शेल्टर होम के वर्तमान स्टाफ को हटाया जाए और नए स्टाफ की तैनाती की जाए. यह जरूरी है कि लड़कियों की तुरंत अच्छी देखभाल की जाए ताकि वे और ज्यादा पीड़ित महसूस न करें. यह जरूरी है कि सभी लड़कियां साथ रहें क्योंकि लम्बे समय तक साथ रहने से उनके बीच में गहरा भावात्मक सम्बन्ध बन गया है.
आयोग को जानकारी मिली है कि दो लड़कियां, जिनको सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया गया था, को बाल कल्याण समिति द्वारा दूसरे होम में स्थानांतरित कर दिया गया है जबकि बाकी लड़कियां शेल्टर होम में ही रह रही हैं. इसके अलावा समिति की तरफ से शेल्टर होम के स्टाफ के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया गया है. आयोग का यह मानना है कि यह लड़कियों की परेशानी को और बढ़ाएगा, उनको लगेगा कि उनको सच बोलने की वजह से उनको दंड दिया जा रहा है, क्योंकि उनको अपने दोस्तों से दूर एक अजनबी जगह पर भेजा जा रहा है.
Delhi Deputy Chief Minister Manish Sisodia ordered the District Magistrate to take over Dwarka shelter home after reports of abuse of minor girls emerged. Delhi Commission for Women (DCW) has been directed to conduct an inquiry & submit a report to the Government within 15 days. pic.twitter.com/cAsjp2eebe
— ANI (@ANI) December 31, 2018
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने उप मुख्यमंत्री को लिखा और उनका ध्यान उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों की तरफ खींचा. इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अगर किसी शेल्टर होम में बच्चों के साथ प्रताड़ना होती है तो इसे जेजे एक्ट की धारा 30 के तहत संस्थान के प्रबंधन, सम्बंधित बाल कल्याण समिति, किशोर न्यायालय या जिला बाल संरक्षण इकाई को सौंपे गए दायित्वों की असफलता और बच्चों को दी जाने वाली सेवाओं में खलल माना जाएगा. ऐसी सूरत में यह सलाह दी जाती है कि बाल कल्याण का ऑफीसर इंचार्ज होने के कारण सम्बंधित जिलाधिकारी तुरंत उस संस्थान की जिम्मेदारी ले और उस संस्थान का प्रबंधन अपने हाथ में ले. इसके बाद जिलाधिकारी स्थिति की समीक्षा करेगा और इन मामलों में फैसला लेगा.
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उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि निजी शेल्टर होम में बच्चों पर अत्याचार के मामले में बहुत दुखद हैं. जेजे एक्ट की धारा 30 के तहत जिम्मेदार संस्थाओं की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि उनके क्षेत्र में शेल्टर होम में रहने वाले सभी बच्चों को ठीक तरह से देखभाल हो और सुरक्षा मिले. इस मामले में यह संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हुई हैं. उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सम्बंधित जिलाधिकारी तुरंत शेल्टर होम को अपने अधिकार में लें और यह सुनिश्चित करें कि शेल्टर होम का वर्तमान स्टाफ हटाया जाए और नया स्टाफ तैनात हो. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष इस मामले में जांच करें और 15 दिन में रिपोर्ट सरकार को सौंपें.
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