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दिल्ली: कभी थे पड़ोसी, आज बन गए हैं सियासी विरोधी, करोलबाग सीट की क्या है असली कहानी

करोलबाग एक वक्त बीजेपी का गढ़ माना जाता था यहां से रैगर समाज के सुरेंद्र पाल रतावल तीन बार विधायक रहे हैं..

दिल्ली: कभी थे पड़ोसी, आज बन गए हैं सियासी विरोधी, करोलबाग सीट की क्या है असली कहानी
नई दिल्ली:

दिल्ली में करोलबाग सीट पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम के उम्मीदवार बनने से मुक़ाबला हाई प्रोफ़ाइल हो गया है..करोलबाग सीट से तीन बार जीत चुके रवि विशेष पर चौथी बार फिर आम आदमी पार्टी ने भरोसा जताया है..देखिए रवीश रंजन शुक्ला की ख़ास रिपोर्ट..

दिल्ली में गारमेंट का सबसे बड़ा बाज़ार करोलबाग है, दूसरी तरफ़ संकरी गलियों की परेशानियों और बिजली के तारों में उलझी यहाँ की आबादी..लेकिन इससे भी ज्यादा उलझी है यहाँ की सियासत. दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 12 सीटें हैं लेकिन ये सबसे ज़्यादा हाई प्रोफाइल है.

करोलबाग में तीन बार से लगातार आम आदमी पार्टी के विशेष रवि विधायक रहे हैं. चौथी बार फिर से वो करोलबाग के खटीक बस्ती में वोट मांगने आए हैं....यहां उनको शाल और मालाएं पहनाने वालों की कमी नहीं हैं.....विशेष रवि के साथ दिल्लेली नगर निगम के मेयर योगेश खिंची भी मौजूद हैं...लेकिन 2017 में विशेष रवि उस वक्त चर्चा में आए जब एक सामूहिक कार्यक्रम में सादगी से उन्होंने शादी की...रवि विशेष और बीजेपी के उम्मीदवार दुष्यंत गौतम कभी एक दूसरे पड़ोसी थे, आज सियासी विरोधी हैं.

करोलबाग के सियासी समीकरण देखें तो 2013 में विशेष रवि महज 1700 वोटों से बीजेपी के सुरेंद्र रतवाल से जीते लेकिन 2015 में बीजेपी के योगेंद्र चंदौलिया को 32 हजार वोटों से और  2020 में विशेष रवि करीब 31 हजार वोटों से हराया था.

विशेष रवि के खिलाफ करोलबाग की सियासी बिसात पर बीजेपी ने दुष्यंत गौतम नाम का बड़ा सियासी दांव लगाया है. दुष्यंत गौतम राज्यसभा सांसद रहे हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव के पद पर हैं. यही वजह है कि करोलबाग में वो छोटी छोटी नुक्कड़ सभाएं करके लोगों से संपर्क साध रहे हैं और आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला बोल रहे हैं..लेकिन आम आदमी पार्टी उनको बाहरी बताकर उनकी घेरेबंदी कर रही है.

करोलबाग एक वक्त बीजेपी का गढ़ माना जाता था यहां से रैगर समाज के सुरेंद्र पाल रतावल तीन बार विधायक रहे हैं. लेकिन 2013 के बाद बीजेपी यहां वापसी नहीं कर पाई.  करोलबाग सुरक्षित सीट के जातिए समीकरण की बात करें तो  यहां सबसे ज्यादा  रैगर समाज के करीब 65 मतदाता फिर जाटव समाज के करीब 35 फीसदी मतदाता उसके बाद दूसरी जातिए के मतदाता है. अनुसूचित जाति के सियासी दबदबे वाली करोलबाग सीट पर लोगों के मुद्दे क्या है. ये जानने के लिए हम भीमराव अंबेडकर वरिष्ठ नागरिक स्थल पहुंचे. कड़ाके की ठंड में सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म था. 

सामुदायिक केंद्र में केवल ये बोर्ड दिल्ली सरकार ने लगावाया है बाकी कोई मदद नहीं की है..सब हम खुद चंदा लगाकर कर रहे हैं. यहां सबसे बड़ी दिक्कत नशा है गलियों में लोग नशा बेचते हैं. तीसरा वाक्सपाप लगाए--हमारे समाज के लोग बेरोजगार है हमें फ्री नहीं चाहिए लेकिन कम से कम इलाके की साफ सफाई तो बेहतर हो.        
                                                                   
लेकिन करोलबाग की पहचान दिल्ली के सबसे बड़े गारमेंट मार्केट की है...जींस...जैकेट लोअर का काम यहां घर घर होता है...यहां से देश ही विदेशों तक में गारमेंट की सप्लाई होती है...इस व्यवसाय से करीब एक लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं...और पांच हजार से ज्यादा यहां छोटी बड़ी दुकानें होंगी...मार्केट के प्रधान सतवंत सिंह जींस दिखाते कहते है सरकारें अगर सहूलियत दे तो इलाके की तस्वीर बदल सकती 

पहले इस इलाकते में कुछ नहीं था लेकिन कपड़े की मार्केट ने यहां के लोगों को रोजगार दिया लेकिन सरकार टैक्स इतने ज्यादा कर रही है..कि अगर सहूलियत दी जाए लोकल फंर वोकल को लागू करे तो और यहां का विस्तार हो सकता है.       

वहीं करोलबाग में कांग्रेस का खाता बीते 22 साल से नहीं खुला है...यही वजह है कि बीते तीन चुनावों में यहां से सियासी मुकाबले में आम आदमी पार्टी और बीजेपी ही रहे हैं.                     

सोचिए करोड़ों का कारोबार और लाखों लोगों को रोजगार देने वाले करोलबाग बाजार में बिजनेस की गहमागहमी के अलावा अब  सियासी लड़ाई की तीखी नारेबाजी भी हो रही है...आम आदमी पार्टी अपने इस मजबूत किले को बचाने की जुगत में है और बीजेपी खोई हुई सियासी जमीन को दोबारा पाने की जद्उदोजहद कर रही तो बेल्ट बांध लीजिए मुकाबला दिलचस्प होने वाला है..
 

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