दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन
नई दिल्ली:
देश में 1988 बेनामी संपत्ति कानून बन गया था. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस संबंध में नोटिफिकिशन जारी कर दिया है. अब लग रहा है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन इस कानून के तहत घेरे में आने वाले पहले व्यक्ति बन सकते हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग जांच कर रहा है.
अभी तक की जांच के बाद आयकर विभाग का कहना है कि सत्येंद्र जैन ने आयकर कानूनों का उल्लंघन किया है. विभाग का कहना है कि उसके पास सत्येंद्र जैन के खिलाफ बेनामी संपत्ति कानून के तहत केस दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. इसी के साथ माना जा रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन के लिए बेनामी संपत्ति कानून के तहत पहला केस दर्ज हो सकता है. बता दें कि सत्येंद्र जैन उन कंपनियों से नाता तोड़ चुके हैं जिनके मार्फत वह इस केस में फंस रहे हैं. आयकर विभाग कहना है कि जब वह कंपनी में थे तब भी आयकर कानून का उल्लंघन किया गया है.
आयकर विभाग के सूत्रों ने एनडीटीवी बताया कि विभाग इस मामले में धनशोधन की जानकारी ईडी से साझा करेगा ताकि वह भी अपने यहां केस दर्ज कर मामले की जांच कर सकें. इतना ही नहीं मामले से जुड़े कागज सीबीआई को भी सौंपने की तैयारी है. सीबीआई पूरे मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत जांच कर सकती है.
आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि जैन से जुड़ी कंपनियों में हवाला के रास्ते करोड़ों रुपये आए और उनसे दिल्ली के विभिन्न भागों में 200 एकड़ से अधिक की जमीन खरीदी गई. इन जमीनों के रजिस्ट्री के पेपरों पर सत्येंद्र जैन के फोटो तक लगे हैं. आयकर विभाग इन्हें सत्येंद्र जैन की बेनामी संपत्ति मान रहा है. विभाग ने कहा कि अब तक की जानकारी में यह बात भी सामने आई है कि इस जानकारी को सत्येंद्र जैन ने चुनाव आयोग से भी छिपाया है. बता दें कि बेनामी संपत्ति कानून के तहत केस दर्ज होने की स्थिति में आयकर विभाग इन संपत्तियों को जब्त कर सकता है. अदालत में बेनामी संपत्ति साबित होने के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है.
जानकारी के लिए बता दें कि बेनामी संपत्ति कानून संसद ने 1988 में पारित किया था. लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया. पिछले दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने इस कानून को लागू किया. यह तो साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मंचों से साफ कहा है कि कालाधन के बाद वह बेनामी संपत्ति के खिलाफ कड़े कदम उठाने की तैयारी में हैं. इसी के तहत उन्होंने इस कानून को लागू किया है. पीएम मोदी कहा है कि पुराने कानून में कुछ बदलाव कर उसे ज्यादा धारदार बनाया गया है.
इस पूरे मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य और ट्रांसपोर्ट मंत्री सत्येंद्र जैन पर मनी लॉड्रिंग का मामला भी बनता दिखाई दे रहा है. जांच में जुटे सरकारी विभाग का कहना है कि सत्येंद्र जैन की स्वामित्व वाली कंपनी मंगलायतन प्रोजेक्ट्स, पारस इंफोसाल्यूशंस औरर अकिंचन डेवलपर्स में हवाला के मार्फत करोड़ों रुपये उनके दिल्ली सरकार में मंत्री बनने के बाद भी आए थे. लोकसेवक बनने के बाद आए इस धन को आय से अधिक संपत्ति मानते हुए सीबीआई उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा कर सकती है. बता दें कि मनी लांड्रिंग कानून के तहत ईडी को ऐसी संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार है.
अभी तक की जांच के बाद आयकर विभाग का कहना है कि सत्येंद्र जैन ने आयकर कानूनों का उल्लंघन किया है. विभाग का कहना है कि उसके पास सत्येंद्र जैन के खिलाफ बेनामी संपत्ति कानून के तहत केस दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. इसी के साथ माना जा रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन के लिए बेनामी संपत्ति कानून के तहत पहला केस दर्ज हो सकता है. बता दें कि सत्येंद्र जैन उन कंपनियों से नाता तोड़ चुके हैं जिनके मार्फत वह इस केस में फंस रहे हैं. आयकर विभाग कहना है कि जब वह कंपनी में थे तब भी आयकर कानून का उल्लंघन किया गया है.
आयकर विभाग के सूत्रों ने एनडीटीवी बताया कि विभाग इस मामले में धनशोधन की जानकारी ईडी से साझा करेगा ताकि वह भी अपने यहां केस दर्ज कर मामले की जांच कर सकें. इतना ही नहीं मामले से जुड़े कागज सीबीआई को भी सौंपने की तैयारी है. सीबीआई पूरे मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत जांच कर सकती है.
आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि जैन से जुड़ी कंपनियों में हवाला के रास्ते करोड़ों रुपये आए और उनसे दिल्ली के विभिन्न भागों में 200 एकड़ से अधिक की जमीन खरीदी गई. इन जमीनों के रजिस्ट्री के पेपरों पर सत्येंद्र जैन के फोटो तक लगे हैं. आयकर विभाग इन्हें सत्येंद्र जैन की बेनामी संपत्ति मान रहा है. विभाग ने कहा कि अब तक की जानकारी में यह बात भी सामने आई है कि इस जानकारी को सत्येंद्र जैन ने चुनाव आयोग से भी छिपाया है. बता दें कि बेनामी संपत्ति कानून के तहत केस दर्ज होने की स्थिति में आयकर विभाग इन संपत्तियों को जब्त कर सकता है. अदालत में बेनामी संपत्ति साबित होने के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है.
जानकारी के लिए बता दें कि बेनामी संपत्ति कानून संसद ने 1988 में पारित किया था. लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया. पिछले दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने इस कानून को लागू किया. यह तो साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मंचों से साफ कहा है कि कालाधन के बाद वह बेनामी संपत्ति के खिलाफ कड़े कदम उठाने की तैयारी में हैं. इसी के तहत उन्होंने इस कानून को लागू किया है. पीएम मोदी कहा है कि पुराने कानून में कुछ बदलाव कर उसे ज्यादा धारदार बनाया गया है.
इस पूरे मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य और ट्रांसपोर्ट मंत्री सत्येंद्र जैन पर मनी लॉड्रिंग का मामला भी बनता दिखाई दे रहा है. जांच में जुटे सरकारी विभाग का कहना है कि सत्येंद्र जैन की स्वामित्व वाली कंपनी मंगलायतन प्रोजेक्ट्स, पारस इंफोसाल्यूशंस औरर अकिंचन डेवलपर्स में हवाला के मार्फत करोड़ों रुपये उनके दिल्ली सरकार में मंत्री बनने के बाद भी आए थे. लोकसेवक बनने के बाद आए इस धन को आय से अधिक संपत्ति मानते हुए सीबीआई उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा कर सकती है. बता दें कि मनी लांड्रिंग कानून के तहत ईडी को ऐसी संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार है.
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