क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए Polygon ने अलग रेगुलेटर बनाने के बारे में कहा है. Polygon blockchain के को-फाउंडर संदीप का कहना है कि देश में क्रिप्टो इंडस्ट्री की मॉनिटरिंग और इसे आगे बढ़ाने के लिए एक रेगुलेटरी संस्था बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), GST काउंसिल और फाइनेंस मिनिस्ट्री के प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसीज और Web3 से जुड़े सेगमेंट्स को मदद देने वाली ब्लॉकचेन इंडस्ट्री देश में तेजी से बढ़ रही है. संदीप का कहना था कि फाइनेंस मिनिस्ट्री की अगुवाई वाली एक नई टास्क फोर्स इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ इस बारे में बातचीत कर सकती है. CoinDesk ने संदीप के हवाले से बताया, "फाइनेंस मिनिस्ट्री को इस टास्क फोर्स की अगुवाई करनी चाहिए और अन्य इंस्टीट्यूशंस को यह स्पष्ट निर्देश देना चाहिए कि क्रिप्टो से जुड़े किसी भी मामले से केवल क्रिप्टो टास्क फोर्स निपटेगी." एक रेगुलेटर होने से ब्लॉकचेन फर्मों को आगामी योजनाओं के बारे में देश के फाइनेंशियल और सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के साथ विचार विमर्श करने का जरिया मिलेगा जिससे वे कानून के तहत कदम उठा सकेंगी.
रेगुलेटरी स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से भारतीय डिवेलपर्स की ओर से क्रिएट किए जाने के बावजूद Polygon का देश में कोई ऑफिस नहीं है. देश में अभी क्रिप्टो के लिए कानून लागू नहीं हुआ है. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत से डिजिटल एसेट्स को टैक्स के दायरे में पहुंचा दिया है.
क्रिप्टो ट्रेडिंग से मिलने वाले प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत का टैक्स चुकाना होगा. इसके अलावा प्रत्येक क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर एक प्रतिशत का TDS भी लागू हो गया है. इन नियमों का उल्लंघन करने वाले मुश्किल में पड़ सकते हैं. नए क्रिप्टो कानून का उल्लंघन करने वालों सात वर्ष तक की कैद हो सकती है. एक अनुमान के अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप में 10 करोड़ से अधिक लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसीज हैं. यह भारत की जनसंख्या का लगभग 7.3 प्रतिशत है. केंद्र सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह क्रिप्टो माइनिंग करने वालों और इंडस्ट्री से जुड़े अन्य लोगों को टैक्स में कोई छूट या लाभ देने पर विचार नहीं कर रही. ये लोग क्रिप्टो से जुड़े इकोसिस्टम को चलाने के लिए बड़ी रकम खर्च कर सकते हैं. हालांकि, सरकार के इस रवैये को लेकर क्रिप्टो इंडस्ट्री में नाराजगी है क्योंकि क्रिप्टो माइनिंग में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट की कॉस्ट अधिक होती है.
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