क्रिप्टो सेगमेंट के लिए देश में कानून बनने का इंतजार किया जा रहा है. इसका असर इस सेगमेंट से जुड़ी संस्थाओं पर पड़ रहा है. रेगुलेटरी स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण चार वर्ष पहले शुरू हुई ब्लॉकचेन एंड क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (BACC) को बंद करने का फैसला किया गया है. यह काउंसिल इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने बनाई थी.
IAMAI का मानना है कि इसे अपने रिसोर्सेज अन्य उभरते हुए टेक सेगमेंट्स में लगाने चाहिए जिससे देश की डिजिटल यात्रा को आगे बढ़ाने में मदद मिल सकेगी. BACC को बंद करने के बावजूद IAMAI का ब्लॉकचेन सेगमेंट में योगदान जारी रहेगा और यह देश की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को बढ़ावा देने में मदद करेगी. क्रिप्टोकरेंसीज की तरह CBDC में वोलैटिलिटी नहीं होती और अन्य रिस्क नहीं होते. CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है, जिस पर सेंट्रल बैंक का कंट्रोल रहता है. CBDC पर ट्रांजैक्शंस को सरकार की ओर से ट्रैक किया जा सकता हैअमेरिका में फेडरल रिजर्व CBDC लॉन्च करने की संभावना तलाश रहा है. रूस ने डिजिटल रूबल कही जाने वाली अपनी CBDC की टेस्टिंग शुरू कर दी है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक रिपोर्ट में कहा है, "CBDC को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के प्रोसेस और ट्रायल के बाद लॉन्च किया जाएगा. इसका डिजाइन मॉनेटरी पॉलिसी के उद्देश्यों और पेमेंट सिस्टम्स के अनुसार बनाने की जरूरत है."
इस बारे में BACC की ओर से जारी एक स्टेटमेंट में कहा गया है, "हमारा मानना है कि इंडस्ट्री को हमेशा रेगुलेटर्स और स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए. एक इंडस्ट्री के तौर पर हम सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ जुड़ाव बनाए रखेंगे और Web3 सहित उभरती हुई टेक्नोलॉजीज को मजबूत करने में योगदान देंगे."
BACC के सदस्यों को इस फैसले के बारे में मुंबई में हुई एक मीटिंग में जानकारी दी गई थी. इस मीटिंग में क्रिप्टो एक्सचेंजों CoinSwitch Kuber, CoinDCX और WazirX के प्रतिनिधि शामिल थे. क्रिप्टो और Web3 से जुड़ी फर्मों ने BACC को बंद करने के फैसले पर निराशा जताई है. हालांकि, कुछ लोगों का यह भी कहना था कि BACC ने चार वर्षों के कामकाज के दौरान क्रिप्टो सेगमेंट के लिए कुछ खास नहीं किया और इस वजह से इसे बंद करने से समस्या नहीं होगी.
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