क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज फर्म वजीरएक्स पर साइबर हमले (WazirX Cyber Attack) के सिलसिले में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने अदालत में चार्जशीट पेश कर दी है. चार्जशीट के मुताबिक, साइबर हमले से करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है. पश्चिम बंगाल के रहने वाले आरोपी एसके मसूद आलम ने साइबर हमले को आसान बनाने के लिए एक फर्जी खाता बनाया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आलम को पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले से गिरफ्तार किया था.
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में एसके मसूद आलम पर सौविक मोंडल के नाम से वजीरएक्स खाता खोलने और इसे टेलीग्राम के माध्यम से एक अन्य शख्स एम हसन को बेचने का आरोप लगाया गया है, जिसने कथित तौर पर क्रिप्टो एक्सचेंज का उल्लंघन करने के लिए इसका इस्तेमाल किया था. इसके साथ ही चार्जशीट में वजीरएक्स के वॉलेट को सुरक्षित करने के लिए जिम्मेदार डिजिटल एसेट कस्टडी सॉल्यूशंस फर्म लिमिनल कस्टडी के कथित असहयोग का भी हवाला दिया गया है.
लिमिनल ने डिटेल्स नहीं दिए : दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) डिवीजन द्वारा की गई जांच वजीरएक्स के प्लेटफॉर्म की हैकिंग के इर्द-गिर्द केंद्रित है. साइबर अपराधियों ने कथित तौर पर वजीरएक्स के हॉट वॉलेट को खत्म कर दिया. इसके बाद कोल्ड वॉलेट पर एक प्रयास किया गया जो ज्यादा सुरक्षा उपायों के साथ ऑफलाइन पैसा रखता है.
चार्जशीट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने जांच के दौरान लिमिनल कस्टडी से महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने का प्रयास किया, लेकिन लिमिनल की तरफ से डिटेल्स नहीं दिए गए, जिससे इसके सुरक्षा प्रोटोकॉल और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो गए.
वजीरएक्स ने किया सहयोग : दिल्ली पुलिस
पुलिस ने नोट किया कि लिमिनल के सहयोग की कमी के चलते बड़े पैमाने पर क्रिप्टो चोरी के पीछे की घटनाओं की पूरी चेन का पता लगाना मुश्किल हो गया. आरोप पत्र में कहा गया है कि जांच आगे बढ़ने पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लिमिनल की भूमिका पर और जानकारी लेने की कोशिश की जाएगी.
मल्टी-सिग वॉलेट के कथित दुरुपयोग की जांच करने के लिए जांचकर्ताओं ने वजीरएक्स से तीन लैपटॉप जब्त किए, जिनका उपयोग अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा लेनदेन को मंजूरी देने के लिए किया गया था. चार्जशीट के अनुसार, वजीरएक्स ने केवाईसी डिटेल्स और लेनदेन लॉग जैसे महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करके अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग किया है.
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आईएफएसओ) द्वारा जांच में पास या दूर से वजीरएक्स के सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच का कोई सबूत नहीं मिला है.
क्या है वजीरएक्स साइबर अटैक?
वजीरएक्स साइबर हमला 18 जुलाई को हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 230 मिलियन डॉलर (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) से अधिक की डिजिटल संपत्ति की चोरी हुई. इसमें में छह हस्ताक्षरकर्ताओं वाला एक मल्टी-सिग वॉलेट शामिल था, जिसमें पांच वजीरएक्स से और एक लिमिनल कस्टडी से था. सुरक्षा उल्लंघन के कारण वजीरएक्स को अपनी करीब 45 प्रतिशत संपत्ति खोनी पड़ी.
वजीरएक्स उपयोगकर्ताओं को बिटकॉइन, एथेरियम और अन्य जैसी कई क्रिप्टोकरेंसी खरीदने और बेचने और व्यापार करने की अनुमति देता है. इसे 2018 में लॉन्च किया गया. यह स्पॉट ट्रेडिंग, स्टेकिंग और पीयर-टू-पीयर लेनदेन के लिए एक मंच प्रदान करता है और एक देशी उपयोगिता टोकन और एक वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बिनेंस के साथ एकीकरण जैसी सुविधाएं प्रदान करता है.
लिमिनल ने जारी किया बयान
उधर, लिमिनल की लीगल टीम की ओर से बयान जारी किया गया है. जिसमें उन्होंने कहा, " हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि लिमिनल ने न केवल अधिकारियों को अपना जवाब सौंप दिया है, बल्कि डेटा साझा करने की क्षेत्रीय सीमाओं के बावजूद हमारी टीम ने उनकी मदद करने के लिए आईएफएसओ अधिकारियों से आधिकारिक तौर पर मुलाकात भी की है. हमें अधिकारियों की ओर से असहयोग का कोई संकेत नहीं है और हम इस मामले को पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ उनका सपोर्ट करेंगे."
इसके साथ ही कहा, "इस बात पर जोर देना जरूरी है कि मीडिया रिपोर्ट में चाहे जो भी बातें हों, सभी पक्षों के साथ जांच अभी भी जारी है और इस स्तर पर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना बेहद जल्दबाजी होगी. हम सभी को सलाह देते हैं कि वे अनुमान आधारित रिपोर्टों के आधार पर कोई भी राय बनाने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करें. यह वास्तविक स्रोत को सटीक रूप से प्रतिबिंबित कर भी सकती है और नहीं भी."
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