
- बुलंदशहर जिले के कुख्यात गैंगस्टर बलराम ठाकुर को गाजियाबाद पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया
- बलराम ठाकुर का अंतिम संस्कार सुबह करीब चार बजे भारी सुरक्षा के बीच हुआ
- अंतिम संस्कार में गैंगस्टर के समर्थन में लगे जिंदाबाद और अमर रहो के नारे
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के कुख्यात गैंगस्टर बलराम ठाकुर को गाजियाबाद पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया. सुबह करीब 4 बजे, भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पैतृक गांव जहांगीराबाद में बलराम ठाकुर का अंतिम संस्कार कर दिया गया. लेकिन हैरान करने वाली बात तो ये है कि जैसे ही शव गांव पहुंचा, माहौल पूरी तरह बदल गया. एंबुलेंस के पीछे बाइकों और कारों का लंबा काफिला चलता हुआ नजर आया. उसके पक्ष में नारेबाजी भी की गई. हालांकि इस दौरान पुलिस की भारी सुरक्षा व्यवस्था होने से कोई अनहोनी नहीं हो पाई.
जिंदाबाद और अमर रहो के नारे लगे
अंतिम यात्रा में बलराम ठाकुर अमर रहे और बलराम ठाकुर जिंदाबाद जैसे नारे गूंज उठे. साल 1997 में दहेज प्रथा को लेकर परिवार में हुई कलह ने बलराम को अपराध की दुनिया में धकेल दिया था, बताया जाता है कि झगड़े के दौरान साले ने बलराम को थप्पड़ मार दिया था, और जिसके बाद बलराम ने अपने साले की हत्या कर दी थी. हत्या के मामले में बलराम जेल गया, लेकिन बाहर आते ही उसने कपड़ा व्यापारी का अपहरण कर मोटी फिरौती वसूली और सुर्खियों में आ गया.
लोगों के लिए रॉबिनहुड था गैंगस्टर
इसके बाद बलराम अपराध के दलदल में धंसता चला गया. हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती और फिरौती समेत 40 मुकदमे उस पर दर्ज हुए. धीरे-धीरे वह अनिल दुजाना गैंग का सक्रिय सदस्य बन गया. पुलिस के लिए बलराम ठाकुर बड़ा सिरदर्द बना हुआ था, लेकिन स्थानीय इलाकों में उसकी छवि 'रॉबिनहुड' जैसी बन गई. गांव वालों का कहना है कि बलराम ठाकुर गरीब और असहाय युवाओं की पैसों से मदद करता था, यही वजह रही कि उसके अंतिम संस्कार में लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा.
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