लोकायुक्त पर हमला करने का आरोपी तेजराज शर्मा.
- कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस विश्वनाथ शेट्टी खतरे से बाहर
- बेंगलुरु पुलिस के संयुक्त आयुक्त अपराध शाखा को जांच के आदेश
- धारा 307 सहित तक़रीबन आधा दर्जन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज
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बेंगलुरु:
कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस विश्वनाथ शेट्टी को उनके दफ़्तर में घुसकर बुधवार को दोपहर तकरीबन 1.30 बजे तेजराज शर्मा नाम के एक शख्स ने चाकू से हमला कर दिया. पेट और सीने के आसपास पांच घाव उन्हें लगे. जस्टिस विश्वनाथ शेट्टी को फौरन मल्ल्या अस्पताल पहुंचाया गया जहां उन्हें खतरे से बाहर बताया जा रहा है. 33 साल के हमलावर तेजराज शर्मा को मौका ए वारदात से गिरफ्तार कर लिया गया. वह बेंगलुरु से तरीबन 75 किलोमीटर दूर तुमकर का रहने वाला है.
बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर टी सुनील कुमार ने बताया कि आरोपी पर आईपीसी की गैरजमानती धारा 307 यानी हत्या के प्रयास के साथ साथ तक़रीबन आधे दर्जन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस कमिश्नर के मुताबिक अब तक की जांच से पता चला है कि आरोपी "लोकायुक्त पर जानलेवा हमला करने के मकसद से ही आया था और इसी वजह से चाकू अपने साथ लाया था."
यह भी पढ़ें : कर्नाटक लोकायुक्त को ऑफिस के भीतर चाकू से गोदा, हमलावर गिरफ्तार
लोकायुक्त का दफ्तर पहली मंज़िल पर है और वहां तक जाने के लिए ग्राउंड फ्लोर पर लगे मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ता है. वहां भी तीन पुलिसकर्मी ड्यूटी पर होते हैं. इसके बाद लोकायुक्त के चैम्बर के बाहर कम से कम 5 से 7 सशस्त्र पुलिस होती है. इतना ही नहीं लोकायुक्त को एक निजी आर्म्ड गार्ड भी अंगरक्षक के तौर पर मिल हुआ है और एक अर्दली भी साथ होता है. लेकिन हमले के वक्त न तो मेटल डिटेक्टर काम कर रहा था न ही उनका अंगरक्षक और अर्दली ही मौजूद था.आखिर ऐसी चूक क्यों हुई. इसकी जांच के लिए बेंगलुरु पुलिस के संयुक्त आयुक्त अपराध शाखा को आदेश पुलिस कमिश्नर ने दिए हैं.
VIDEO : लोकायुक्त पर जानलेवा हमला
सवाल यह भी उठता है कि आखिर तेजराज शर्मा ने लोकायुक्त पर जानलेवा हमला क्यों किया. अब तक की जानकारी के मुताबिक तेजराज फर्नीचर का व्यापार करता है और उसने सरकारी दफ्तरों में सप्लाई के लिए कई बार टेंडर भरे लेकिन कभी भी उसका टेंडर पास नहीं हुआ. इसकी वजह साफ नहीं है कि उसका टेंडर पास क्यों नहीं होता था. इसके लिए शायद तेजराज भ्रष्टाचार को ज़िम्मेदार मानता था और इसी वजह से वो कई बार लोकायुक्त कार्यालय पहले भी जा चुका था. ऐसे में वो काफी निराश था और इसी वजह से उसने लोकायुक्त पर जानलेवा हमला किया.
बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर टी सुनील कुमार ने बताया कि आरोपी पर आईपीसी की गैरजमानती धारा 307 यानी हत्या के प्रयास के साथ साथ तक़रीबन आधे दर्जन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस कमिश्नर के मुताबिक अब तक की जांच से पता चला है कि आरोपी "लोकायुक्त पर जानलेवा हमला करने के मकसद से ही आया था और इसी वजह से चाकू अपने साथ लाया था."
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लोकायुक्त का दफ्तर पहली मंज़िल पर है और वहां तक जाने के लिए ग्राउंड फ्लोर पर लगे मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ता है. वहां भी तीन पुलिसकर्मी ड्यूटी पर होते हैं. इसके बाद लोकायुक्त के चैम्बर के बाहर कम से कम 5 से 7 सशस्त्र पुलिस होती है. इतना ही नहीं लोकायुक्त को एक निजी आर्म्ड गार्ड भी अंगरक्षक के तौर पर मिल हुआ है और एक अर्दली भी साथ होता है. लेकिन हमले के वक्त न तो मेटल डिटेक्टर काम कर रहा था न ही उनका अंगरक्षक और अर्दली ही मौजूद था.आखिर ऐसी चूक क्यों हुई. इसकी जांच के लिए बेंगलुरु पुलिस के संयुक्त आयुक्त अपराध शाखा को आदेश पुलिस कमिश्नर ने दिए हैं.
VIDEO : लोकायुक्त पर जानलेवा हमला
सवाल यह भी उठता है कि आखिर तेजराज शर्मा ने लोकायुक्त पर जानलेवा हमला क्यों किया. अब तक की जानकारी के मुताबिक तेजराज फर्नीचर का व्यापार करता है और उसने सरकारी दफ्तरों में सप्लाई के लिए कई बार टेंडर भरे लेकिन कभी भी उसका टेंडर पास नहीं हुआ. इसकी वजह साफ नहीं है कि उसका टेंडर पास क्यों नहीं होता था. इसके लिए शायद तेजराज भ्रष्टाचार को ज़िम्मेदार मानता था और इसी वजह से वो कई बार लोकायुक्त कार्यालय पहले भी जा चुका था. ऐसे में वो काफी निराश था और इसी वजह से उसने लोकायुक्त पर जानलेवा हमला किया.
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