फरीदाबाद: साइबर पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, 262 वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग का भंडाफोड़

पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में धर्मेंद्र, विकास उर्फ विकी, सचिन, मनीष तथा मैक्स उर्फ बिल्लू का नाम शामिल है.

फरीदाबाद: साइबर पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, 262 वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग का भंडाफोड़

साइबर पुलिस ने 05 आरोपियों को किया गिरफ्तार

फरीदाबाद:

फरीदाबाद साइबर पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने देशभर में  साइबर क्राइम की 262 वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. पूरे मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से 2 मोबाइल तथा 1,17,500 रुपये नकद बरामद किये गए हैं. पुलिस की तरफ से कहा गया है कि आरोपी लोगों से लोन दिलवाने का लालच देकर मोटी रकम हड़प लेते थे. 

पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में धर्मेंद्र, विकास उर्फ विकी, सचिन, मनीष तथा मैक्स उर्फ बिल्लू का नाम शामिल है. आरोपी विकास यूपी के मुजफ्फरनगर, आरोपी धर्मेंद्र दिल्ली के त्रिलोकपुरी तथा आरोपी सचिन, मनीष तथा बिल्लू गुरुग्राम के रहने वाले हैं. आरोपी धर्मेंद्र तथा विकास साइबर क्राइम की वारदातों के मुख्य आरोपी हैं तथा आरोपी सचिन का बैंक खाता धोखाधड़ी की इन वारदातों में प्रयोग किया जाता था.

 फरीदाबाद के आदर्श नगर के रहने वाले सत्य प्रकाश की शिकायत पर पुलिस की तरफ से कार्रवाई की गयी. आरोपियों ने उससे 2,15,949 रुपये हड़प लिए थे. पीड़ित की शिकायत के आधार पर 26 दिसंबर 2021 को धोखाधड़ी तथा षड्यंत्र इत्यादि धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज की गयी थी. पुलिस आयुक्त विकास कुमार अरोड़ा ने मामले में आरोपियों की धरपकड़ के लिए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बसंत के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया था जिसमें एएसआई भूपिंदर, नरेंद्र तथा नीरज, महिला प्रधान सिपाही अंजू, सिपाही संदीप, अमित तथा अंशुल का नाम शामिल था.

जानकारी के अनुसार आरोपी उन कस्टमर को अपना निशाना बनाते थे जिनकी पॉलिसी किस्त न भरने या अन्य किसी कारण से लेप्स हो चुकी होती थी. आरोपी पॉलिसी धारकों को कॉल करके उनकी लेप्स हुई पॉलिसी पर बजाज फाइनेंस कंपनी से लोन दिलवाने का लालच देते थे. जब पॉलिसी धारक अपनी लेप्स हुई पॉलिसी पर लोन लेने के लिए राजी हो जाता था तो वह उसे बैंक में नया खाता खुलवाने के लिए बोलते थे. जिसमे लोन की रकम डालने का लालच दिया जाता था. और खाता खुलवाने के लिए पॉलिसी धारक का आधार, पेन कार्ड तथा अन्य जरूरी कागजात मंगवा लेते थे.

जिसके बाद इसके पश्चात आरोपी पॉलिसी होल्डर के कागजात के आधार पर बैंक में ऑनलाइन खाता खुलवाकर उसकी नेट बैंकिंग सर्विस एक्टिवेट करवा लेते थे तथा ग्राहक को अपने झांसे में लेकर ओटीपी की सहायता से नेट बैंकिंग का आईडी पासवर्ड तैयार करके उसका पैसा हड़प लेते थे. 

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