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राहुल, तेजस्वी, चिदंबरम... सवाल एक- चुनाव निष्पक्ष क्यों नहीं? आयोग का जवाब भी जान लीजिए

राजद नेता तेजस्वी यादव के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पी. चिदंबरम, एच. नागेश ने निर्वाचन आयोग पर निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठाए हैं. इन सभी नेताओं के दावों पर निर्वाचन आयोग ने भी अपनी दलीलें दी हैं.

राहुल, तेजस्वी, चिदंबरम... सवाल एक- चुनाव निष्पक्ष क्यों नहीं? आयोग का जवाब भी जान लीजिए
विपक्ष के नेताओं ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.

चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष चुनाव कराने तक सीमित रहा करता था, लेकिन इसके काम का दायरा बढ़ गया है. बीते कुछ दिनों से विपक्षी दलों द्वारा निर्वाचन आयोग की पारदर्शिता पर जमकर सवाल उठाए जा रहे हैं. ऐसे में निर्वाचन आयोग एक-एक कर सभी विपक्षी नेताओं के दावों और बयानों का फैक्ट चेक कर उन्हें आईना दिखा रही है. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुए वोटर लिस्ट रिवीजन के गहन अभियान (SIR) से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र चुनाव, लोकसभा चुनाव को लेकर खूब सवाल उठे. इन सवालों का जवाब देते हुए निर्वाचन आयोग ने एक-एक कर सभी दावों पर अपनी दलीलें दी. आइए जानते हैं बीते कुछ दिनों में निर्वाचन आयोग क्या-क्या सवाल उठे? इन सवालों के जवाब में चुनाव आयोग ने क्या कुछ कहा?

तेजस्वी को नोटिस, चुनाव आयोग ने मांगा वोटर आईडी कार्ड

निर्वाचन आयोग ने रविवार को राजद नेता तेजस्वी यादव से उस मतदाता पहचान पत्र को “जांच के लिए सौंपने” को कहा, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि वह उनके पास है, जबकि वह “आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया गया” था. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को दावा किया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित ‘मसौदा मतदाता सूची' में उनका नाम नहीं है.

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एक प्रेस वार्ता के दौरान, पूर्व उपमुख्यमंत्री यादव ने अपने फोन को एक बड़ी स्क्रीन से जोड़ा और ऑनलाइन अपना मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर खोजने की कोशिश की, जिससे परिणाम आया कि ‘कोई रिकॉर्ड नहीं मिला'. संबंधित अधिकारियों द्वारा खंडन किए जाने पर उन्होंने आरोप लगाया कि उनका मतदाता पहचान पत्र नंबर “बदला हुआ” था.

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पूर्व उपमुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र में पटना सदर के अनुविभागीय मजिस्ट्रेट सह दीघा विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी ने कहा, “हमारी प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि दो अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपने जिस ईपीआईसी नंबर का ज़िक्र किया था, वह आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया था. इसलिए आपसे अनुरोध है कि विस्तृत जांच के लिए ईपीआईसी कार्ड की मूल प्रति हमें सौंप दें.”

इसके बाद राजद नेता ने आरोप लगाया कि उनका ईपीआईसी नंबर “बदल दिया गया” है, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट त्यागराज एस एम ने इस दावे को खारिज कर दिया. जिलाधिकारी ने कहा, “मतदाता सूची में ईपीआईसी नंबर वही है जो विपक्ष के माननीय नेता ने 2020 के विधानसभा चुनावों में अपने हलफनामे में प्रस्तुत किया था. यदि उनके पास किसी अन्य नंबर वाला कोई अन्य ईपीआईसी कार्ड भी है, तो यह जांच का विषय है.”

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राहुल गांधी ने लगाए वोट चोरी के आरोप, ECI ने कहा- यह निराधार

कांग्रेस सांसद और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से चुनाव आयोग पर लगातार 'वोट चोरी' के आरोप लगाए जा रहे हैं. इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया फैक्ट चेक ने एक बार फिर उनके बयान को भ्रामक और निराधार बताया है. राहुल गांधी के बयान के जवाब में चुनाव आयोग फैक्ट चेक ने कहा कि लोकसभा 2024 के लिए मतदाता सूची तैयार करते समय मसौदा और अंतिम दोनों सूचियां कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई थीं और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 24 के तहत अपील योग्य थीं.

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कांग्रेस द्वारा सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शायद ही कोई अपील दायर की गई हो. लोकसभा 2024 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 80 के तहत कांग्रेस के हारने वाले उम्मीदवारों द्वारा केवल 8 चुनाव याचिकाएं दायर की गईं.

ECI फैक्ट चेक ने कहा कि राहुल गांधी ने बार-बार निराधार और भ्रामक आरोप लगाए हैं, जिनमें 'वोट चोरी' जैसे निराधार दावे भी शामिल हैं. उन्होंने देश भर के लाखों मेहनती चुनाव अधिकारियों को धमकाया है. ऐसा प्रतीत होता है कि इन निराधार आरोपों का उद्देश्य उनकी निष्पक्ष और पारदर्शी मेहनत को बदनाम करना, चुनाव मशीनरी पर अनुचित दबाव डालना, और यहां तक कि मतदाता सूची के विरुद्ध अपील या कानून के अनुसार चुनाव संचालन के विरुद्ध कोई आवेदन दायर किए बिना ही उन्हें धमकाना है.

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चिदंबरम का दावा-तमिलनाडु में 6.5 लाख प्रवासी वोटर जोड़े गए, आयोग ने कहा- आधारहीन

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु में 6.5 लाख प्रवासी मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़े जाने को 'चिंताजनक और अवैध' बताया था. आयोग ने इसे 'भ्रामक और आधारहीन' करार देते हुए कहा कि विशेष मतदाता सूची संशोधन (एसआईआर) अभियान अभी तमिलनाडु में शुरू नहीं हुआ है. कांग्रेस नेता चिदंबरम ने अपने एक्स पोस्ट में दावा किया था कि बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने का खतरा है, जबकि तमिलनाडु में 6.5 लाख प्रवासी मतदाताओं को जोड़ा जा रहा है.

उन्होंने इसे प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों का हनन और चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करार दिया. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर कोई प्रवासी श्रमिक बिहार से तमिलनाडु गया है और उसका परिवार बिहार में रहता है, तो उसे तमिलनाडु में स्थायी रूप से प्रवासित कैसे माना जा सकता है. चुनाव आयोग ने चिदंबरम के इस दावे को अपने फैक्ट में झूठ पाया. उन्होंने कहा कि ये दावे तथ्यात्मक रूप से गलत हैं.

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आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ई) के तहत प्रत्येक नागरिक को भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का अधिकार है. साथ ही, प्रतिनिधित्व जनता अधिनियम, 1950 की धारा 19(बी) और धारा 20 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो किसी निर्वाचन क्षेत्र में 'सामान्य रूप से निवासी' है, वह उस क्षेत्र की मतदाता सूची में पंजीकरण का हकदार है.

आयोग ने कहा, "अगर कोई तमिलनाडु का मूल निवासी दिल्ली में सामान्य रूप से रह रहा है, तो वह दिल्ली में मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकता है. इसी तरह, बिहार का कोई व्यक्ति अगर चेन्नई में रह रहा है, तो वह चेन्नई में मतदाता के रूप में पंजीकरण करा सकता है."

आयोग ने चिदंबरम के दावों को भ्रामक बताते हुए कहा, "राजनीतिक नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे विशेष मतदाता सूची संशोधन (एसआईआर) अभियान के बारे में गलत जानकारी नहीं फैलानी चाहिए. आयोग के संज्ञान में आया है कि कुछ लोग जानबूझकर मीडिया में गलत खबरें फैला रहे हैं ताकि इस अभियान में बाधा डाली जाए. बिहार से अन्य राज्यों में स्थायी रूप से स्थानांतरित हुए मतदाताओं की सटीक संख्या एसआईआर अभियान पूरा होने के बाद ही पता चलेगी."

ECI ने आगे कहा कि भारतीय संविधान और प्रतिनिधित्व जनता अधिनियम, 1950 के अनुसार, मतदाताओं का पंजीकरण उस निर्वाचन क्षेत्र में होता है जहां वे सामान्य रूप से रहते हैं. मतदाताओं को स्वयं आगे आकर उस क्षेत्र में पंजीकरण कराना चाहिए जहां वे रह रहे हैं. लेकिन, तमिलनाडु में 6.5 लाख मतदाताओं के पंजीकरण की खबर गलत है, क्योंकि वहां एसआईआर अभियान अभी शुरू नहीं हुआ है. बिहार के SIR अभियान को तमिलनाडु से जोड़ना बेतुका है. ऐसी गलत खबरें फैलाने से बचना चाहिए.

कर्नाटक के कांग्रेस नेता ने एच. नागेश ने उठाए सवाल

कर्नाटक के कांग्रेस नेता एस. नागेश ने 31 जुलाई को कर्नाटक चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा. इस पत्र में दावा किया कि उन्होंने अप्रैल 2023 में अपने निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित मतदाता सूची में कथित जाली प्रविष्टियों के विवरण वाली एक सूची प्रस्तुत की थी. 

कांग्रेस नेता एस. नागेश ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा था, "हमने अप्रैल 2023 के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र 174 महादेवपुरा से संबंधित मतदाता सूची में कथित जाली प्रविष्टियों के विवरण वाली एक सूची प्रस्तुत की थी. यह मुद्दा गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित करता है. हालांकि, हमने दस्तावेजों की सूची खो दी है और हमारे पास रिकॉर्ड के लिए प्रस्तुत दस्तावेज की एक प्रति नहीं है. हम आपसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि हमारे द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज की एक प्रति साझा करें."

हालांकि, अब चुनाव आयोग ने इसे पूरी तरह से नकार दिया है.

कांग्रेस नेता के सवाल पर चुनाव आयोग ने क्या कहा

कर्नाटक चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता एस. नागेश को लिखे पत्र में कहा, ''इस कार्यालय के पास अप्रैल 2023 के दौरान आपसे प्राप्त ऐसे किसी भी पत्र का रिकॉर्ड नहीं है, जिसमें मतदाता सूची के मुद्दे पर 174-महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र से संबंधित मतदाता सूची में कथित जाली प्रविष्टियों का विवरण हो, जिसे आपने अब अचानक उठाया है."

पत्र में आगे लिखा गया, ''इस कार्यालय के पास मतदाता सूची की एक वैधानिक प्रति है, जो ऑनलाइन भी उपलब्ध है और चुनावों के दौरान हमेशा उम्मीदवारों को सौंपी जाती है, जिसमें आपको भी शामिल किया जाता है, जब आप चुनाव लड़ रहे थे. तब से, आपने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 80 के अनुसार 174-महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के संबंध में कोई चुनाव याचिका दायर नहीं की है, न ही जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के अनुसार 2023 में प्रकाशित मतदाता सूची में प्रविष्टियों के विरुद्ध प्रथम अपीलीय प्राधिकारी या द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष कोई अपील दायर की है."

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