AIIMS का पूर्व डॉक्टर नकली ED अफसर बन कर रहा था एक्सटॉर्शन, दिल्ली पुलिस ने साथियों संग दबोचा!

इन लोगों की गिरफ्तारी संसद मार्ग पुलिस थाने के बाहर हुई है. इस गैंग का मास्टरमाइंड डॉक्टर संतोष रॉय है जो बनारस के एक बड़े नेता का भाई है और इसके खिलाफ ठगी के 50 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.

AIIMS का पूर्व डॉक्टर नकली ED अफसर बन कर रहा था एक्सटॉर्शन, दिल्ली पुलिस ने साथियों संग दबोचा!

एक पीड़ित ने क्राइम ब्रांच में शिकायत दी, जिसके बाद इनकी गिरफ्तारी संसद मार्ग थाने के बाहर हुई.

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच ने चार नकली ED अफसर गिरफ्तार किए हैं. ये लोग खुद को प्रवर्तन निदेशालय का अधिकारी बताकर एक्सटॉर्शन कर रहे थे. एक पीड़ित ने क्राइम ब्रांच में शिकायत दी, जिसके बाद इनकी गिरफ्तारी हुई है. चारो आरोपी दिल्ली के रहने वाले हैं. इन लोगों की गिरफ्तारी संसद मार्ग पुलिस थाने के बाहर हुई है. इस गैंग का मास्टरमाइंड डॉक्टर संतोष रॉय है जो बनारस के एक बड़े नेता का भाई है और इसके खिलाफ ठगी के 50 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के मुताबिक ईडी के अधिकारियों की तरफ से एक शिकायत आयी थी कि कुछ लोग ईडी के अफसर बनकर जबरन वसूली कर रहे हैं. दरसअल, मौजपुर के रहने वाले मोहम्मद रफीक, जो कस्टम क्लीयरेंस का काम करते हैं, को किसी ने फोन करके खुद को ईडी का अधिकारी बताकर 50 लाख रुपये की मांग की थी. फोन करने वाले स्पूफ़िंग के जरिये मेल भेजते थे और फोन करते थे ताकि ऐसा लगे कि उन्हें ईडी दफ्तर से ही मेल या फोन आ रहे हैं.

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रफीक ने इसकी शिकायत ईडी में की. क्राइम ब्रांच ने केस दर्ज कर जांच शुरू की तो मोहम्मद रफीक को फोन करने वाले ने कहा वो एक वकील से मिल ले और पैसे देने को लेकर डील पूरी कर ले. मोहम्मद रफीक उस वकील से मिला और डील पक्की हो गई. डील के मुताबिक पहली किश्त के तौर पर 22 लाख रुपये देने थे.

26 अगस्त को आरोपियों ने मोहम्मद रफीक को संसद मार्ग थाने के सामने पैसे देने के लिए बुलाया. क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर विवेकानंद झा और सब इंस्पेक्टर संजय गुप्ता की टीम ने जाल बिछाया और आरोपी संतोष रॉय और भूपेंद्र को गिरफ्तार कर लिया.

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दोनों से पूछताछ के बाद मौजपुर से 2 और आरोपियों  संजय और कुलदीप को गिरफ्तार कर लिया. संजय मोहम्मद रफीक का किरायेदार है. पुलिस के मुताबिक संतोष रॉय बनारस का रहने वाला है और वो एक शातिर ठग है. उस पर कई राज्यों में ठगी के 50 से ज्यादा केस दर्ज हैं. संतोष ने 1997 में एमबीबीएस किया था और कुछ समय के लिए एम्स में भी काम किया है.

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2019 में सीबीआई ने उसे अरेस्ट किया था तब वो एक मीट कारोबारी से 10 करोड़ रुपये मांग रहा था. संतोष  नाथूराम गोडसे पर एक फ़िल्म भी बना रहा था जो जल्दी ही रिलीज़ होने वाली थी. दूसरा आरोपी भूपेंद्र फ़र्ज़ी वकील है. इस मामले में अन्य आरोपी अफ़ज़ल अहमद, अर्जुन और आकाश फरार हैं.