उच्चतम न्यायालय ने रेणुकास्वामी हत्याकांड में कन्नड़ अभिनेता दर्शन थुगुदीपा, पवित्रा गौड़ा और पांच अन्य को दी गई जमानत रद्द करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, लेकिन कर्नाटक सरकार की याचिका पर गौर करने पर सहमति जताई और नोटिस जारी किया.
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के जमानत आदेश के खिलाफ सरकार की याचिका पर दर्शन और अन्य को नोटिस जारी किया. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को आशंका है कि अन्य सह-आरोपियों को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का लाभ मिल सकता है.
पीठ ने कहा, 'चूंकि सरकार जमानत रद्द करने का अनुरोध कर रही है, इसलिए आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाना उचित नहीं होगा क्योंकि यह जमानत रद्द करने के बराबर होगा. फिर भी, अभियोजन पक्ष के हितों की रक्षा के लिए, यदि कोई सह-आरोपी जमानत का अनुरोध करता है, तो संबंधित न्यायालय उस आदेश को आधार न बनाए, जिसे हमारे समक्ष चुनौती दी गई है. दायर की गई किसी भी जमानत याचिका पर उसके गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाए.'
राज्य सरकार की ओर से उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता अनिल निशानी ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने पूरे मामले को पूरी तरह से 'खत्म' कर दिया है. उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि अन्य सह-आरोपी उच्च न्यायालय के जमानत आदेश का लाभ उठाएंगे. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 13 दिसंबर 2024 को अभिनेता दर्शन और अन्य को जमानत दे दी थी.
दर्शन को गौड़ा को अश्लील संदेश भेजने के बाद आठ जून, 2024 को, अपने प्रशंसक रेणुकास्वामी की हत्या के आरोप में 11 जून, 2024 को गिरफ्तार किया गया था.
जमानत मिलने से पहले, अभिनेता को बेंगलुरु की परप्पना अग्रहारा जेल में रखा गया था, लेकिन जब जेल के कुछ अन्य कैदियों के साथ आराम करते हुए उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर आई, तो उन्हें बेल्लारी केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया. राज्य सरकार ने छह जनवरी को जमानत के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था.
ऑटोरिक्शा चालक रेणुकास्वामी (33) का शव नौ जून, 2024 को मिला था. आरोप है कि दर्शन ने रेणुकास्वामी पर हमला करने का आदेश दिया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी. इसके अलावा यह आरोप भी है कि दर्शन ने अपने प्रशंसकों से सोशल मीडिया पर गौड़ा के बारे में अपमानजनक टिप्पणी पोस्ट करने के लिए रेणुकास्वामी को घेरने और उसका अपहरण करने का आग्रह किया था.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर 2024 को स्वास्थ्य आधार पर दर्शन को छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत और फिर दिसंबर में नियमित जमानत दे दी थी.
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